नई दिल्ली। इस साल मानसून समय पर आने की उम्मीदें ध्वस्त होती नजर आ रही हैं। मौसम विभाग का पूर्वानुमान था कि मानसून 30 मई तक केरल तट तक पहुंच जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिछले कई दिनों से मानसून के आगे बढ़ने की गति काफी धीमी रही है। अब माना जा रहा है कि मानसून 4 जून तक केरल पहुंचेगा।
भारतीय मौसम विभाग के मुख्य वैज्ञानिक डीएस पई का कहना है कि अभी भी मौसम की स्थितियां मानसून के आगे बढ़ने में मददगार नहीं हैं इसलिए इसमें देरी हो सकती है। हालांकि, 21 मई तक दक्षिण-पश्चिमी मानसून बंगाल की खाड़ी से आगे बढ़ता हुआ श्रीलंका के दक्षिणी हिस्सों तक पहुंच गया था। लेकिन उसके बाद हफ्ते भर से वहीं ठहरा है। अरब सागर में एंटी-साइक्लोन की वजह से यह आगे नहीं बढ़ पा रहा है। डीएस पई के मुताबिक, अब मानसून 4 जून तक केरल पहुंचेगा।
निजी मौसम अनुमान एजेंसी स्काईमेट का कहना है कि फिलहाल केरल में कहीं-कहीं बौछार हो रही है। अब तीन जून के बाद ही मानसून पहुंचने की उम्मीद की जा सकती है। गौरतलब है कि खरीफ की बुवाई और देश की पूरी अर्थव्यवस्था के लिए मानसून पर निर्भर करती है। देश में सिर्फ 40 फीसदी खेती योग्य भूमि तक सिंचाई की सुविधा पहुंची है। करीब 60 फीसदी खेती अभी भी बारिश पर निर्भर है। पिछले साल मानसून सीजन के दौरान देश में सामान्य से करीब 12 फीसदी कम बारिश हुई थी। जिससे देश के कई इलाकों में सूखे जैसे हालात पैदा हो गए थे और अनाज, कपास और तिलहन के उत्पादन को झटका लगा था।
पिछले साल कृषि में सिर्फ 0.2 फीसदी ग्रोथ
मौसम की मार और फसलों का उचित दाम न मिल पाने का असर पिछले साल के कृषि उत्पादन पर साफ दिखाई पड़ता है। जीडीपी के ताजा आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2014-15 में कृषि क्षेत्र में सिर्फ 0.2 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी। अनाज उत्पादन भी वर्ष 2013-14 के रिकॉर्ड 265 लाख टन से घटकर 2014-15 में 251 लाख टन रह गया था। इस साल मार्च-अप्रैल के दौरान देश के कई इलाकों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की मार से किसान अभी उबर भी नहीं पाए हैं कि मानसून ने इंतजार कराना शुरू कर दिया है।