प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मकर संक्रांति के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दीं। यह त्यौहार सूर्य की 'उत्तरायण' यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है, जिसे हिंदू परंपरा में शुभ माना जाता है।
पीएम मोदी ने सभी के लिए नई ऊर्जा और उत्साह की कामना की तथा असम में मनाए जाने वाले फसल उत्सव माघ बिहू की भी लोगों को बधाई दी।
उन्होंने एक्स पर कहा, "हम प्रकृति की प्रचुरता, फसल की खुशी और एकजुटता की भावना का जश्न मनाते हैं। यह त्योहार खुशी और एकजुटता की भावना को और बढ़ाए।"
मकर संक्रांति किसानों के लिए एक विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह फसल कटाई के मौसम की शुरुआत का संकेत देता है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों और तरीकों से मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है, जो चार दिनों का एक प्रमुख त्यौहार है। पोंगल के दौरान लोग नए चावल, दूध और गुड़ से बने विशेष पकवान की तैयारी करते हैं और सूर्य देव को धन्यवाद देते हैं। पंजाब में मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का उत्सव मनाया जाता है, जिसमें लोग आग जलाकर पारंपरिक नृत्य और गीतों का आनंद लेते हैं।
उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे खिचड़ी पर्व कहा जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करके तिल, चावल और खिचड़ी का दान करना शुभ माना जाता है। महाराष्ट्र में मकर संक्रांति के अवसर पर तिलगुड़ और गुड़ के लड्डू बांटे जाते हैं, और "तिलगुड़ घ्या, गोड गोड बोला" कहकर मीठे संबंधों को बनाए रखने का संदेश दिया जाता है।
मकर संक्रांति आध्यात्मिक महत्व भी रखता है। इस दिन को भगवान सूर्य और उनके पुत्र शनि देव के मिलन के रूप में देखा जाता है। लोग इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करके पुण्य अर्जित करते हैं। पतंगबाजी इस पर्व का एक प्रमुख आकर्षण है, खासकर गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में।
यह त्योहार न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि यह हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने और आपसी प्रेम और सद्भावना को बढ़ावा देने की प्रेरणा भी देता है। मकर संक्रांति भारतीय परंपरा, संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक अनूठा उदाहरण है।