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एक करोड़ रुपये से ज्यादा सरकारी अनुदान पाने वाले एनजीओ लोकपाल के दायरे में

सरकार से अनुदान के तौर पर एक करोड़ रुपये से ज्यादा रकम और विदेशों से 10 लाख रुपये से अधिक दान प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) अब लोकपाल के दायरे में आएंगे। नए नियमों के तहत, इस तरह के एनजीओ के पदाधिकारियों को लोक सेवक माना जाएगा और अनियमितताओं के मामले में भ्रष्टाचार-रोधी कानून के तहत इन पर मामला चलाया जाएगा।
एक करोड़ रुपये से ज्यादा सरकारी अनुदान पाने वाले एनजीओ लोकपाल के दायरे में

केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा मंगलवार को जारी नए नियमों के मुताबिक, एक सोसाइटी, लोगों के संघ या न्यास (किसी भी कानून के तहत पंजीकृत हो) जिसे सरकार द्वारा पूर्ण या आंशिक वित्त पोषण किया गया हो और जिसकी सालाना आय एक करोड़ रुपये से अधिक हो, का कोई भी मौजूदा या पूर्व निदेशक, प्रबंधक, सचिव या कोई अन्य अधिकारी लोकपाल के दायरे में आएगा। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विदेशी अनुदानों का दुरुपयोग करने के मामले में विदेशी वित्त पोषित एनजीओ के कार्यकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए गृह मंत्रालय को सक्षम प्राधिकार बनाया गया है। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब विदेशों से मिले धन का दुरूपयोग करने के आरोप में सरकार द्वारा हाल ही में दो एनजीओ लॉयर्स कलेक्टिव और सबरंग ट्रस्ट के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं।

 

नए नियम एनजीओ, सीमित देनदारी वाली साझेदारी फर्मों या ऐसे किसी अन्य समूह जो केंद्र सरकार द्वारा आंशिक या पूर्ण वित्त पोषित हैं पर लागू होंगे। उस एनजीओ के शीर्ष अधिकारियों में से किसी एक अधिकारी से उस समय तक सालाना रिटर्न दाखिल करने की अपेक्षा की जाती है जब तक कि उपरोक्त दान की संपूर्ण रकम पूर्ण उपयोग नहीं हो जाती। सरकार से अनुदान प्राप्त करने वाले एनजीओ के मामले में ऐसे किसी भी संगठन को अधिकतम सहायता राशि देने वाले संबद्ध मंत्रालय के विभाग का प्रभारी मंत्री, नियमों के उल्लंघन की स्थिति में कार्रवाई करने के लिए सक्षम प्राधिकरण होगा। लोकपाल एवं लोकायुक्त कानून, 2013 के तहत बनाए गए नए नियमों में कहा गया है कि एनजीओ द्वारा सालाना रिटर्न संबद्ध विभाग के पास दाखिल किया जाएगा जिसमें सरकारी सहायता की अधिकतम राशि का ब्यौरा देना होगा। ये सालाना रिटर्न, निदेशक, प्रबंधक या सचिव सहित शीर्ष पदाधिकारियों को भी दाखिल करना आवश्यक होगा।

 

कार्मिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, नए नियमों से सरकार द्वारा वित्त पोषित एनजीओ के तहत काम कर रहे अधिकारी लोकपाल के दायरे में आ गए हैं और अनुदान का दुरुपयोग करने या कथित भ्रष्टाचार के लिए उन पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। लोकपाल नाम की संस्था केंद्र सरकार द्वारा अभी स्थापित की जानी बाकी है क्योंकि लोकपाल कानून का संशोधन विधेयक संसद में लंबित है। नियमों के मुताबिक, प्रत्येक सरकारी कर्मचारी अपनी और अपने पति या पत्नी की संपत्ति एवं देनदारियों एवं आश्रित बच्चों के संबंध में वार्षिक रिटर्न दाखिल करेगा।

 

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