नीति आयोग के सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की 11वीं इंडिया करप्शन स्टडी-2017 रिपोर्ट के मुताबिक इन राज्यों में सार्वजनिक सेवाओं के लिए जनता को घूस देना पड़ा है। जिसमें कर्नाटक के बाद आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार पाया गया है। वहीं देश के 29 में से 20 राज्यों में किये गये सर्वे के आधार पर हिमाचल प्रदेश, केरल और छत्तीसगढ़ को सबसे कम भ्रष्ट राज्य माना गया है। सर्वेक्षण का आधार खाद्य आपूर्ति, बिजली, पानी, अस्पताल, स्कूल, पुलिस, अदालत, बैंक, जमीन रजिस्ट्रेशन और टैक्स जैसी सेवाओं को बनाया गया। रिपोर्ट जारी करते हुए नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय ने कहा, “नोटबंदी और भूमि सुधार के कारण आनेवाले साल में भ्रष्टाचार में और कमी आयेगी।“
एक तिहाई लोगों को देनी पड़ी रिश्वत
रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे में करीब एक तिहाई लोगों ने कहा है कि पिछले साल उन्हें कहीं न कहीं रिश्वत देनी पड़ी। सर्वेक्षण में गांव और शहरी क्षेत्र के 3,000 लोगों की राय ली गयी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्नाटक में 77.0 फीसदी लोग,आंध्रप्रदेश में 74.0 फीसदी लोग,तमिलनाडु में 68.0 फीसदी लोग औऱ हिमाचल प्रदेश में 03.0 फीसदी लोगों को रिश्वत देनी पड़ी है।
नोटबंदी के दोरान आई थी घूसखोरी में कमी
वहीं इनमें से आधे से अधिक ने माना कि नोटबंदी के दौरान घूसखोरी में कमी आयी थी। रिपोर्ट में आकलन किया गया है कि 20 राज्यों के लोगों ने 10 सार्वजनिक सेवाओं के लिए 6,350 करोड़ रुपये की रिश्वत 2017 में दी। वर्ष 2005 में लोगों ने 20,500 करोड़ रुपये रिश्वत दी थी। इस साल कराये गये अध्ययन में 53 फीसदी लोगों ने रिश्वत देने की बात कबूल की थी।
यहां घूस देना जरूरी
लोगों के अनुसार अदालतों और पुलिस को पैसे न दिये जायें, तो वे जनता का काम नहीं करते। घूस नहीं देने पर 3.5% लोगों को अदालत से मनचाही तारीख या आदेश की सत्यापित कॉपी नहीं मिली। उन्हें सिर्फ तारीख मिली। घूस न देने पर 1.8% लोगों की पुलिस ने एफआइआर तक नहीं लिखी।