केंद्र सरकार ने नगालैंड के लिए अलग झंडा और संविधान की एनएससीएन-आईएम की मांग को खारिज कर दिया है। साथ ही साफ किया कि बंदूकों के साए में उग्रवादी समूह के साथ अंतहीन वार्ता स्वीकार्य नहीं है।
नगा वार्ता के लिए वार्ताकार और नगालैंड के राज्यपाल आरएन रवि ने कहा कि केंद्र सरकार दशकों लंबी शांति वार्ता की प्रक्रिया को बिना देर किए निष्कर्ष पर पहुंचाएगी। रवि ने बयान जारी कर कहा कि आपसी सहमति से विस्तृत समझौते का मसौदा तैयार किया गया है जिसमें सभी अहम मुद्दे शामिल हैं।
बयान में कहा गया है कि दुर्भाग्य से इस वक्त एनएससीएन-आईएम ने विलंब करने का रुख अपना रखा है और अलग नगा राष्ट्रीय झंडा तथा संविधान जैसे विवादास्पद मुद्दों को उठा रहा है जिस पर वे भारत सरकार के रुख से पूरी तरह अवगत हैं। रवि के बयान इसलिए मायने रखते हैं कि केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को 5 अगस्त को खत्म करने की घोषणा कर दी थी और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में बांट दिया था। विशेष दर्जा समाप्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा और संविधान भी समाप्त हो गया।
राज्यपाल रवि ने कहा कि भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के गतिशील और निर्णायक नेतृत्व में नगा शांति प्रक्रिया को निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है जो पिछले 22 वर्ष से अधिक वक्त से चल रहा है। उन्होंने कहा कि परिणामस्वरूप नगा शांति प्रक्रिया पिछले पांच वर्षों में वास्तव में समग्र बन गई है और निष्कर्ष के चरण तक पहुंच चुकी है।
2015 बनी थी समझौते के प्रारूप पर सहमति
सत्तारूढ़ भाजपा, प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कई मौकों पर स्पष्ट किया कि पूरे भारत के लिए वे सिर्फ एक झंडे और एक संविधान में विश्वास करते हैं। रवि ने कहा कि एनएससीएन-आईएम ने समझौते के प्रारूप को शरारतपूर्ण तरीके से लंबा खींचा है और इसमें काल्पनिक विषय डाल रहा है। समझौते के प्रारूप पर तीन अगस्त 2015 को एनएससीएन- आईएम के महासचिव थुइंगलेंग मुइवा और सरकार के वार्ताकार रवि ने प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए थे।
कुछ नेता पूर्व धारणाओं से कर रहे हैं गुमराह
रवि ने बयान में कहा कि एनएससीएन-आईएम के कुछ नेता विभिन्न मीडिया संगठनों के जरिए लोगों को बेतुकी धारणाओं और पूर्व धारणाओं से गुमराह कर रहे हैं। और इस पर वे भारत सरकार के साथ पहले ही सहमत हो चुके हैं। एनएससीएन-आईएम के कुछ नेताओं के ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण रुख की वजह से रवि ने 18 अक्तूबर को कोहिमा में नगा समाज के कुछ प्रमुख पक्षकारों के साथ लंबी बैठक की।
बैठक में नगालैंड के 14 नगा जनजातियों, नगालैंड के सभी गैर नगा जनजाति, नगालैंड गांव बुढा संगठन, नगालैंड जनजाति परिषद्, गिरजाघर के नेताओं और नागरिक समाज संगठनों का शीर्ष नेतृत्व शामिल हुआ। बयान में कहा गया है कि नगा नेताओं ने समझौते के पक्ष में जोरदार समर्थन जताकर जिस सियासी परिपक्वता और बुद्धिमत्ता का परिचय दिया वह सराहनीय है।
18 सालों तक 80 दौर की वार्ता के बाद आया समझौता प्रारूप
बयान में कहा गया है कि भारत सरकार वार्ता में शामिल सभी पक्षों से उम्मीद करती है कि लोगों की इच्छाओं पर ध्यान दें और तय वक्त के भीतर नगा शांति प्रक्रिया को निष्कर्ष पर पहुंचाने में सहयोग करें। समझौता प्रारूप 18 सालों तक 80 दौर की वार्ता के बाद आया है। इसमें पहली कामयाबी 1997 में मिली थी जब नगालैंड में दशकों तक उग्रवाद के बाद संघर्षविराम समझौता हुआ था। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद नगालैंड में उग्रवाद की शुरुआत हुई थी।