वरिष्ठ सैन्य कर्मियों की ज्यादातर मांगों को पूरा किए जाने की बात रेखांकित करते हुए पर्रिकर ने कहा कि न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा जो समस्याओं पर विचार करेगा। पर्रिकर ने यहां एक समारोह से अलग कहा, यह लोकतंत्र है। हर किसी को मांग करने का अधिकार है। लेकिन ज्यादातर उनकी एक रैंक एक पेंशन की मुख्य मांग पूरी की जा चुकी है। शेष वह सब है जिसकी हमने 5 सितंबर को घोषणा की थी। इसमें से वीआरएस के बारे में भ्रम दूर कर दिया गया है।
उन्होंने कहा अगर सभी मांगें पूरी कर दी जाएं तो कोई और व्यक्ति कुछ और मांग करने लगेगा। मंत्री ने कहा कि आधारभूत मुख्य मुद्दे का समाधान कर दिया गया है और अगर कोई समस्या है तो उस पर न्यायिक आयोग गौर करेगा। सरकार ने वन रैंक वन पेंशन के लिए शनिवार को अधिसूचना जारी कर दी लेकिन वरिष्ठ सैन्य कर्मी इससे नाखुश हैं। पर्रिकर इसी संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब दे रहे थे। इस बीच, वायु सेना प्रमुख अरूप राहा ने कहा कि सरकार ने वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं और सबको इसे स्वीकार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर अब भी कोई विसंगति है तो समय आने पर उसका समाधान किया जा सकता है। सरकार ने देश भर के 24 लाख से अधिक पूर्व सैन्य कर्मियों और करीब छह लाख युद्ध विधवाओं के लिए शनिवार को वन रैंक वन पेंशन योजना औपचारिक रूप से अधिसूचित कर दी। अधिसूचना उस बारे में है जिसकी पर्रिकर ने पांच सितंबर को घोषणा की थी। बहरहाल इसमें से उन पूर्व सैन्य कर्मियों को ओआरओपी के दायरे से बाहर करने संबंधी विवादित प्रस्ताव को हटा दिया गया है जिन्होंने समय से पहले सेवानिवृत्ति ली थी। लेकिन वन रैंक वन पेंशन का लाभ स्वैच्छिक रूप से सेवा से हटने वाले सैन्य कर्मियों को नहीं मिलेगा।
अधिसूचना के अनुसार, भविष्य में यह लागू होगा। इस अधिसूचना में सालाना समीक्षा के बाद पेंशन को समान किए जाने, वर्तमान पेंशनयाफ्ता कर्मियों की अधिकतम पेंशन तय करने और सेवारत सैन्य कर्मियों तथा पूर्व सैन्य कर्मियों के प्रतिनिधियों वाला विशेषज्ञ आयोग नियुक्त करने की मांग अधिसूचना में शामिल नहीं है। जून से नई दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने वाले पूर्व सैन्य कर्मियों ने इस अधिसूचना को खारिज कर दिया है। इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट के प्रमुख मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने शनिवार को बताया कि यह वन रैंक वन पेंशन नहीं बल्कि वन रैंक, फाइव पेंशन है।