करीब एक साल तक देश के 43वें प्रधान न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति ठाकुर ने शीर्ष अदालत परिसर में अपने विदाई भाषण में कई मुद्दों को छुआ और कहा कि देशभर की अदालतों में करीब तीन करोड़ मामले लंबित हैं और न्यायाधीशों की कमी को देखते हुए इस मुद्दे से निपणुता से निपटा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, वर्तमान में बहुत चुनौतियां हैं। हमारे सामने तीन करोड़ मामले हैं। हमारे सामने आधारभूत ढांचे की समस्याएं हैं। हमारे सामने न्यायाधीशों की संख्या कम होने की समस्या है। लेकिन कृपया याद रखिए, हमारे सामने भविष्य में और बड़ी चुनौतियां होंगी और इसके लिए हमें तैयार होना होगा। मामलों के उभरते क्षेत्रों की बात करते हुए सीजेआई ने कहा, आपके सामने आगामी समय में बहुत-बहुत गंभीर समस्याएं होंगी जो वर्तमान से बहुत दूर नहीं हैं। आपके सामने साइबर कानूनों, चिकित्सा, विधि मामले, जेनेटिक एवं निजता आदि से जुड़े मुद्दे होंगे।
उन्होंने भारत के आर्थिक शक्ति के रूप में पुनरूत्थान को रेखांकित किया लेकिन कहा कि राष्ट्र तब तक प्रगति नहीं कर सकता जब तक न्यायपालिका उन चुनौतियों से निपटने को तैयार नहीं हो जो विकास एवं प्रगति के साथ आती हैं।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित विदाई समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि वकीलों में न्यायाधीश या वरिष्ठ अधिवक्ता बनने की दौड़ नहीं होनी चाहिए। उन्होंने साथ ही सुझाव दिया कि ये पद बिना मांगे मिलने चाहिए। उन्होंने कहा, हमने न्यायाधीश बनने की दौड़, न्यायाधीश बनने के प्रयास और हाल में वरिष्ठ अधिवक्ता बनने की दौड़ देखी है। मैंने हमेशा महसूस किया कि ये पद आपके पास बिना मांगे आने चाहिए। आपको इन्हें मांगना नहीं चाहिए, आपको इन्हें आमंत्रित नहीं करना चाहिए। आपको इस पदों के लिए हकदार और योग्य माना जाना चाहिए।
सीजेआई ने वकालत के प्रति अपना लगाव जाहिर करते हुए हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, मैं संविधान में एक संशोधन चाहता हूं कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को वकालत करने दी जाए। क्योंकि हम दिल से अधिवक्ता हैं।
कल न्यायमूर्ति ठाकुर की जगह लेने जा रहे न्यायमूर्ति जेएस खेहर ने कहा कि निवर्तमान सीजेआई ने विधि के अच्छे कार्य के प्रसार तथा लोगों को न्यायपालिका की मुश्किलों से अवगत कराने में देशभर की यात्रा की। अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इस मौके पर न्यायमूर्ति ठाकुर के प्रवेश कर मामले में फैसले की सराहना की। (एजेंसी)