ऑस्ट्रेलिया आधारित मानवाधिकार समूह वॉक फ्री फाउंडेशन की तरफ से जारी 2016 वैश्विक गुलामी सूचकांक के अनुसार दुनिया भर में महिलाओं और बच्चों समेत चार करोड़ 58 लाख लोग आधुनिक गुलामी के गिरफ्त में है। दो साल पहले, सन 2014 में यह संख्या तीन करोड़ 58 लाख थी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में आधुनिक गुलामी में जकड़े लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। यहां एक अरब 30 करोड़ की आबादी में से एक करोड़ 83 लाख 50 हजार लोग गुलामी में जकड़े हैं। उत्तर कोरिया में इसकी व्यापकता सबसे ज्यादा है। वहां आबादी का 4.37 प्रतिशत आधुनिक गुलामी की गिरफ्त में है। वर्ष 2014 की पिछली रिपोर्ट में भारत में आधुनिक गुलामी में जकड़े लोगों की संख्या एक करोड़ 43 लाख बताई गई थी।
सूचकांक के अनुसार आधुनिक गुलामी सभी 167 देशों में पाई गई है। इसमें शीर्ष पांच देश एशिया के हैं। भारत इसमें शीर्ष पर है। भारत के बाद चीन 33 लाख 90 हजार, पाकिस्तान 21 लाख 30 हजार, बांग्लादेश 15 लाख 30 हजार और उज्बेकिस्तान 12 लाख 30 हजार का नंबर आता है। सूचकांक के अनुसार इन पांच देशों में कुल मिला कर दो करोड़ 66 लाख लोग गुलामी में बंधे हैं जो दुनिया के कुल आधुनिक गुलामों का 58 फीसद है।
सूचकांक में आबादी के अनुपात में गुलामों की तादाद के आधार पर 167 देशों का क्रम तय किया गया है। आधुनिक गुलामी में शोषण के उन हालात को रखा गया है जिससे धमकी, हिंसा, जोर-जबरदस्ती, ताकत का दुरूपयोग या छल-कपट के चलते लोग नहीं निकल सकते हैं। शोध में 25 देशों में 53 भाषाओं में आयोजित 42 हजार से ज्यादा साक्षात्कार शामिल किए गए हैं। इनमें भारत में 15 राज्य स्तरीय सर्वेक्षण भी शामिल हैं। ये प्रतिनिधि मूलक सर्वेक्षण अपने दायरे में वैश्विक आबादी के 44 फीसद को समेटते हैं।
आबादी के अनुपात में जिन देशों में सबसे ज्यादा आधुनिक गुलामी का आकलन किया गया है उनमें उत्तर कोरिया, उज्बेकिस्तान, कंबोडिया, भारत और कतर है। आबादी के अनुपात में जिन देशों में सबसे कम आधुनिक गुलामी का आकलन किया गया है उनमें लक्जेमबर्ग, नार्वे, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, स्वीडन और बेल्जियम, अमेरिका और कनाडा, और ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
इस अध्ययन में आधुनिक गुलामी के खिलाफ सरकार की कार्रवाइयों और पहल पर भी निगाह डाली गई। जिन 161 देशों का अध्ययन किया गया, उनमें से 124 देशों ने संयुक्त राष्ट्र मानव तस्करी प्रोटोकोल के अनुरूप मानव तस्करी को अपराध करार दिया है जबकि 90 देशों ने सरकारी कार्रवाइयों को समन्वित करने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजनाएं विकसित की हैं।