पोंजी स्कीम के सहारे भोले-भाले लोगों से पैसा इकट्ठा करके रातोंरात चंपत होने वाली कंपनियों और उनके संचालकों का बच पाना अब आसान नहीं होगा। संसद से पारित हुए नए कानून के लागू होने से वे कानून की जटिलता का फायदा उठाकर पोंजी स्कीमें चला नहीं पाएंगे। ऐसी स्कीमों में फंसे जमाकर्ताओं को भी नए कानून में संरक्षण मिलेगा। पोंजी स्कीम संचालकों से वसूले गए धन पर पहला अधिकार जमाकर्ताओं का ही होगा।
संसद से विधेयक को हरी झंडी
बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम्स बिल, 2019 को सर्वसम्मति से संसद से मंजूरी मिल गई। भोले-भाले निवेशकों को पोंजी स्कीमों से सुरक्षा देने के लिए इस विधेयक को राज्यसभा से ध्वनि मत से स्वीकृति मिल गई।
बिना देरी संपत्ति अटैच होगी और भुगतान होगा
इस विधेयक में अनियमित जमा स्कीमों पर प्रतिबंध लगाने के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है। हालांकि सामान्य कारोबार के लिए डिपॉजिट लेने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। लेकिन आम जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए समुचित व्यवस्था की गई है। विधेयक में पोंजी स्कीमें चलाने वालों को सजा देने और जमाकर्ताओं की राशि वसूलने के लिए प्रावधान किए गए हैं। इसमें ऐसी व्यवस्था की गई है कि जमा पैसा लौटाने में डिफॉल्ट हुई कंपनियों और उनके संचालकों की संपत्ति बिना देरी अटैच करके भुगतान किया जाए।
अध्यादेश का स्थान लेगा नया विधेयक
इस विधेयक को लोकसभा से 24 जुलाई को मंजूरी मिली थी। पोंजी स्कीमों पर रोक लगाने के लिए लाए गए अध्यादेश के स्थान पर यह विधेयक लागू होगा। विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि यह विधेयक आम लोगों की खून-पसीना की कमाई को संरक्षण प्रदान करेगा। सरकार ने मौजूदा कानून की कमियों को दूर करने के लिए अंतर-मंत्रालयीय समूह का गठन किया था। उसकी सिफारिशों में अनियमित जमा स्कीमों पर अंकुश लगाने के लिए नए केंद्रीय कानून की सिफारिश भी शामिल थी। ठाकुर ने कहा कि सरकार आम लोगों की लूटी गई जमाराशियां वापस लौटाने के लिए प्रयास कर रही है। इसी क्रम में यह विधेयक पेश किया गया है।
पोंजी स्कीम के एक तिहाई केस पश्चिम बंगाल में
यह विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों को नियम बनाने का अधिकार देता है। इस समय तक पोंजी स्कीमों के जरिये आम लोगों लूटने के 978 केस सामने आ चुके हैं। इनमें से 326 केस सिर्फ पश्चिम बंगाल में सामने आए। इस विधेयक से देश में अवैध रूप से डिपॉजिट लेने की गतिविधियों पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। अभी कानून की कमियों और सख्त प्रशासनिक उपायों के अभाव में पोंजी स्कीम चलाने वाले लोग भोले-भाले लोगों को धोखा दे रहे हैं और उनका पैसा लूट रहे हैं।
फरवरी में पारित नही हो पाया था विधेयक
बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम बिल, 2018 पर लोकसभा में इस साल फरवरी में भी विचार किया गया था। चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया गया लेकिन राज्यसभा से इसे मंजूरी मिलने से पहले ही सदन स्थगित हो गया और यह विधेयक स्वतः ही खत्म हो गया।
कारोबार या व्यक्तिगत जरूरत के लिए रोक नहीं
नए विधेयक में यह भी व्यवस्था की गई है कि सामान्य कारोबार के लिए उधारी लेने पर किसी तरह की रोक नहीं होगी। कारोबारियों को बिना कठिनाई कर्ज लेने की अनुमति होगी। किसी व्यक्ति द्वारा अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से उधारी लेने अथवा कारोबार में कठिनाई के दौर में कर्ज लेने पर रोक नहीं होगा।
पोंजी स्कीम चलाने और प्रचार करने पर रोक
दूसरी ओर, विधेयक के अनुसार जमा लेने वालों को पोंजी स्कीमों का प्रचार करने, संचालित करने, विज्ञापन जारी करने और धनराशि स्वीकार करने से प्रतिबंधित किया गया है। जमा लेने वाला कोई व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से न तो कोई प्रचार कर सकता है और न ही कोई विज्ञापन दे सकता है।
दस साल तक सजा और 50 करोड़ तक जुर्माना
विधेयक में तीन प्रकार के अपराध परिभाषित किए गए हैं। अनियमित जमा स्कीमें संचालित करना, धोखाधड़ी करके पैसा न लौटाना और पोंजी स्कीम के लिए जमाकर्ताओं को लालच देना तीन अपराध माने गए हैं। इसके लिए एक साल से दस साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा दो लाख से 50 करोड़ रुपये तक जुर्माला लगाया जा सकता है। विधेयक में संचालकों की संपत्ति जब्त करने और उसे बेचकर जमाकर्ताओं का पैसा लौटाने की भी व्यवस्था है। इसके लिए समय सीमा भी तय की गई है।