पुलिस अधिकारियों को इस बात के संकेत मिले हैं कि पीएलएफआइ ने ही बम बनाने की सामग्री उपलब्ध करायी थी। अभी तक जांच में जो तथ्य निकलकर सामने आए हैं उसके अनुसार कुंदन व अन्य गिरफ्तार आरोपी झारखंड से बम लेकर 30 मार्च को पटना पहुंचे थे और शहर विभिन्न इलाकों में 32 बड़े धमाके करने की योजना थी। इसके लिए झारखंड से एक व्यक्ति भी आया जो निर्देश दे रहा था कि कैसे बम को रखना है और कहां रखना है। लेकिन संयोगवश जिस समय बम की तकनीकी जानकारी आरोपियों को दी जा रही थी उसी समय विस्फोट हो गया और सारी पोल खुल गई। गिरफ्तार आरोपियों से जो जानकारी मिली है उससे जांच एजेंसियां सकते में है क्योंकि यह संभव है कि अभी कहीं और भी बम रखा हो।
पुलिस अधिकारी इस मामले में आतंकी संगठन से संबंध की बात को इन्कार नहीं कर रहे हैं। मामले की जांच कर रही एनआईए के अधिकारी भी इस दृष्किोण से जांच कर रहे हैं कि अगर किसी आतंकी संगठन का हाथ है तो वह कौन हो सकता है। एनआईए सूत्रों के मुताबिक विस्फोट की जो साजिश रची गई थी वह एक विशेष राजनीतिक दल के कार्यक्रम को ध्यान में रखकर की गई। सूत्र बता रहे हैं कि अप्रैल माह में बिहार में कई सियासी दल विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर रैलियों का आयोजन कर रहे हैं। इसलिए सियासी दलों को भी निशाना बनाने की बात में दम दिख रहा है। अभी इस मामले में कई और गिरफ्तारियां होनी है उसके बाद ही मामले की तह में पहुंचा जा सकता हैं।
झारखंड से जुड़े हैं पटना ब्लास्ट के तार
पटना के बहादुर ब्लास्ट मामले में अब तक पुलिस और एटीएस को जो जानकारी मिली है उससे एक बात तो साफ हो गई है कि इस ब्लास्ट के तार झारखंड से जुड़े हैं और इसमें प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट आॅफ इंडिया से है।
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