एनआईए ने पीडीपी की युवा शाखा के अध्यक्ष वहीद उर रहमान पर्रा को 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान समर्थन पाने के लिहाज से कथित रूप से हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों के साथ साजिश रचने के मामले में गिरफ्तार कर लिया। पर्रा ने हाल ही में दक्षिण कश्मीर के पुलवामा से जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने आरोप लगाया कि यह सब यहां की राजनीतिक दलों को धमकाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह केवल पीडीपी और जम्मू कश्मीर में मुख्य धारा के दूसरे राजनीतिक दलों को ब्लैकमेल करने तथा धमकाने के लिए है।
अधिकारियों ने कहा कि पर्रा को हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी नवीद बाबू और निलंबित पुलिस उपाधीक्षक देविंदर सिंह के साथ गिरफ्तार किये गये इरफान शफी मीर के साथ कथित संबंधों को लेकर गिरफ्तार किया गया। अधिकारियों के मुताबिक, हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकवादियों के साथ सिंह के संपर्कों के मामले में जांच के दौरान एनआईए के सामने मीर के फोन रिकॉर्ड आये जिनमें पता चला कि वह पर्रा के साथ करीबी संपर्क में था।
एनआईए के प्रवक्ता ने संक्षिप्त बयान जारी कर कहा, ‘‘आज, एनआईए ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की युवा शाखा के नेता वहीद उर रहमान पर्रा को नवीद बाबू-दविंदर सिंह मामले में अन्य आरोपियों के साथ मिलकर हिज्बुल मुजाहिदीन का समर्थन करने के लिए गिरफ्तार कर लिया।’’
मीर ने पूछताछ के दौरान दावा किया कि पर्रा ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी अध्यक्ष और उम्मीदवार महबूबा मुफ्ती के लिए समर्थन मांगा था।
इस बीच महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह संयोग नहीं है कि पर्रा को जिला विकास परिषद चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के एक दिन बाद राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) का सम्मन मिला। मुफ्ती ने कहा कि पर्रा का निलंबित पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह के साथ बिल्कुल भी संपर्क नहीं रहा और उन्हें गलत तरह से आरोपित किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘यह केवल पीडीपी और जम्मू कश्मीर में मुख्य धारा के दूसरे राजनीतिक दलों को ब्लैकमेल करने तथा धमकाने के लिए है।’’ महबूबा मुफ्ती ने कहा कि वह पर्रा की ईमानदारी और चरित्र की व्यक्तिगत रूप से गारंटी दे सकती हैं और अब यह न्यायपालिका पर है कि उन्हें न्याय मिले और जल्द से जल्द रिहा किया जाए।
अधिकारियों ने कहा कि पर्रा से पिछले दो दिन से एनआईए मुख्यालय में पूछताछ चल रही थी। वह पूछताछ के दौरान मदद नहीं कर रहे इसलिए उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा। अधिकारियों के अनुसार मीर, नवीद बाबू के प्रमुख प्रतिनिधि के तौर पर काम कर रहा था। ‘डबल एजेंट’ के तौर पर उभरे मीर को सिंह और सैयद नवीद मुश्ताक उर्फ नवीद बाबू तथा सहयोगी रफी अहमद राठेर के साथ गिरफ्तार किया गया था। जम्मू कश्मीर पुलिस ने जब 11 जनवरी को काजीगुंड के पास सिंह की कार को रोका था तो कार को सिंह चला रहे थे और मीर, नवीद और राठेर भी उसमें बैठे थे। वाहन की तलाशी में एक एके-47 राइफल, तीन पिस्तौल और हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा बरादम हुआ। एनआईए ने 17 जनवरी को मामले की जांच संभाली थी।
एनआईए ने मीर, सिंह, नवीद, उसके भाई सैयद इरफान अहमद, राठेर और कारोबारी तनवीर अहमद वानी के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम तथा भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत आरोपपत्र दायर किया था। एनआईए के मुताबिक, आरोपी पाकिस्तानी संगठन हिज्बुल और पाकिस्तानी एजेंसियों द्वारा ‘भारत के खिलाफ जंग छेड़ने और हिंसक गतिविधियां संचालित’ करने की गहरी साजिश का हिस्सा थे।