तफरीक के बीज, सरकार खामोश
मीडिया को संबोधित करते हुए मदनी ने कहा, ‘ मुल्क के हालात आप लोगों के सामने हैं। हम देख रहे हैं कि देश में धर्मनिरपेक्षता दांव पर है। इस दौर में राय की आजादी खत्म की जा रही है, मजहब की आजादी पर हमले हो रहे हैं। लोग तफरीक के बीज बो रहे हैं और सरकार खामोश बैठी है। मैं मोहब्बत का पैगाम देने के लिए सभी को इक्ट्ठा कर रहा हूं।‘
दो साल पहले ऐसे हालात न थे
मौलाना अरशद मदनी का कहना है कि देश में दो साल पहले ऐसे हालात नहीं थे। यहां तक कि आजादी के वक्त भी ऐसा माहौल नहीं था। जो वारदातें होती थीं वे किसी विशेष इलाके में होती थीं। लेकिन अब कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और मणिपुर से लेकर मुंबई तक खौफ है, नफरत है। गिरिजाघर जलाए जा रहे हैं। दलितों पर हमले हो रहे हैं। जिसके मुंह में जो आ रहा हो वो बोल रहा है। देश से दहशतगर्दी को निकालने के नाम पर मुसलमानों को देश से निकालने की बात की जा रही है। आग लगाने वाले दिन-रात आग लगा रहे हैं। तो क्य़ा इस माहौल से हम लोग गुमनामी में चले जाएं? यह मुल्क हमारा है।
मोदी यह सब रोक सकते थे।
मौलाना मदनी ने कहा कि फिरकापरस्त मानसिकता के लोग धर्मनिरपेक्षता को आग लगाना चाहते हैं। जो हो रहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह सब रोक सकते थे। लेकिन ऊंचे पदों पर बैठे लोग मुंह में बताशा लिए बैठे हैं। सरकार चाहे तो सब कुछ कर सकती है। सरकार को कौन रोक सकता है। अगर सरकार यह सब नहीं रोक रही तो हमें उससे शिकवा है। मौलाना मदनी ने कहा कि मुझे सरकार से दो पैसे की भी उम्मीद हो तो मैं दो दफा नहीं 50 दफा सरकार के पास जाऊं।
इस्लाम का सूफी मत से कोई लेना-देना नहीं
मौलाना मदनी ने आने वाले दिनों में बड़े स्तर पर आयोजित किए जा रहे सूफी समागम के आयोजन पर कहा कि यह कार्यक्रम मुसलमानों को बांटने की साजिश है। इस्लाम का सूफीमत से कोई लेना-देना नहीं। हदीस या कुरान में भी सूफी मत का जिक्र नहीं है।