प्रधानमंत्री ने शिक्षक दिवस से एक दिन पहले स्कूली बच्चों से बातचीत के दौरान कहा, दुर्भाग्य से राजनीतिक जीवन इतना बदनाम हो चुका है कि लोगों को इसमें आने से डर लगता है। हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हैं और राजनीतिक व्यवस्था उसी का हिस्सा है। राजनीति में अच्छे लोग आएं, हर क्षेत्र के लोग आएं तभी देश समृद्ध होगा। मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने आजादी का आंदोलन चलाया था तो जीवन के भिन्न-भिन्न क्षेत्राें से लोग उसमें आए और उसे ताकत मिली।
पीएम मोदी आज दिल्ली छावनी स्थित मानिक शाॅ आडिटोरियम में उपस्थित बच्चों और वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये देश के विभिन्न क्षेत्रों के बच्चों से रूबरू हुए। उन्होंने बच्चों के कई सवालों और जिज्ञासाओं के जवाब भी दिए। बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोपने को गलत बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि माता-पिता का एक स्वभाव होता है कि जो काम वे खुद नहीं कर पाते, वे अपने बच्चों के माध्यम से कराना चाहते हैं। यह ठीक नहीं है। और यही सबसे बड़ी कठिनाई है। मां बाप को अपने सपने अपने बच्चों पर नहीं थोपने चाहिए।
बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, सफलता का कोई नुस्खा नहीं होता और होना भी नहीं चाहिए। हमें ठान लेना चाहिए तभी सफलता मिलेगी। जो ठान लेता है, उसे कभी न कभी सफलता मिलती ही है। कठिनाई यह है कि एक विफलता आने से लोग रूक जाते हैं। विफलता को कभी भी सपनों का कब्रिस्तान नहीं बनने देना चाहिए। एक बच्ची द्वारा यह पूछे जाने पर कि उनकी तरह अच्छा वक्ता कैसे बना जा सकता है, मोदी ने कहा, अच्छा वक्ता बनने के लिए अच्छा श्रोता होना जरूरी है।
बताया मोदी कुर्ते का राज, मेरा कोई फैशन डिजाइनर नहीं
एक छात्र द्वारा उनके अच्छे पहनावे और फैशन डिजाइनर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने हंसते हुए कहा, मेरा कोई फैशन डिजाइनर नहीं है और न मैं किसी फैशन डिजाइनर को जानता हूं। उन्होंने कहा कि अपने कुर्ते की बाह उन्होंने अपनी सुविधा और सरलता को देखते हुए खुद काट ली थी। मोदी कुर्ता के नाम से काफी मशहूर हो चुके अपने आधी बांह के कुर्ते के बारे में उन्होंने खुलासा किया, गुजरात का मौसम एेसा है कि ज्यादा सर्दी नहीं होती। मैं खुद ही कपड़े धोता था। एक दिन कुर्ते की लम्बी बांह को काट लिया। तब से यह चल रहा है। एेसा मैंने अपनी सुविधा और सरलता के हिसाब से किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि बचपन से एक आदत थी, अच्छे ढंग से रहने की। इसलिए लोटे में गर्म कोयला रख देता था और उसी से कपड़े प्रेस करता था। उन्होंने कहा कि अवसर के हिसाब से कपड़े पहनने का प्रयास करना चाहिए। यह व्यावहारिकता की बात है।
देश की सेवा करने के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में मोदी ने कहा कि हम अपने सामान्य व्यवहार से, छोटे छोटे कार्यों से देश की सेवा कर सकते हैं। बिजली बचा कर, खाना बचा कर हम देश की सेवा कर सकते हैं। हमारे घरों में काम करने आने वाली महिला को शिक्षित बनाकर हम देश की सेवा कर सकते हैं। उन्होंने कहा, स्कूल से सभी को चरित्र प्रमाण पत्र मिलता है। मैंने कहा है कि चरित्र प्रमाणपत्र के बजाय अभिरूचि प्रमाणपत्र दिया जाए। प्रधानमंत्री ने आवाह्न किया कि अपने अपने करियर में बहुत अच्छा काम करने वाले लोगों को हर सप्ताह कम से कम एक घंटे या एक साल में 100 घंटे का समय छात्राों को पढ़ाने में लगाना चाहिए।
2022 तक पूरे देश में 24 घंटे बिजली
देश में बिजली की कमी के बारे में एक बच्चे के सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा, मेरा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि वर्ष 2022 तक पूरे देश में चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध हो। हमने 1,000 दिन में देश के एेसे 18,000 गांवों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है जहां बिजली नहीं है। डिजिटल इंडिया के बारे में उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया सामान्य नागरिकों के सशक्तिकरण के लिए है। स्वच्छ भारत के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में मोदी ने कहा कि यह हमारे स्वभाव से जुड़ा है। सरकार की योजनाएं चल रही हैं और इसका असर दिख रहा है। हमें कचरा प्रबंधन पर ध्यान देना होगा, कचरे को कमाई में बदला जा सकता है।
उत्तराखंड के छात्र सार्थक भारद्वाज ने पूछा था कि देश के कई स्थानों पर बिजली नहीं होने के चलते डिजिटल इंडिया का सपना कैसे पूरा होगा, देश में 18 हजार गांव एेसे हैं जहां बिजली नहीं है। इस पर मोदी ने कहा कि डिजिटल इंडिया रूक नहीं सकता, यह सौर उर्जा से भी चल सकता है।