पिछले पांच सालों से देश भर के पत्रकार इस बात का इंतजार करते रहे हैं कि कब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रेस कांफ्रेस कर अपने सवाल के काम-काज, विपक्ष के आरोपों और आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर मीडिया के सवालों का जवाब देंगे। शुक्रवार को चुनाव प्रचार के आखिरी दिन लगा कि पांच साल का इंतजार खत्म होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम पांच बजे के करीब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ प्रेस कांफ्रेस करने भाजपा मुख्यालय पहुंचे। लेकिन उन्होंने प्रेस कांफ्रेस का स्वरूप ही बदल दिया। प्रेस कांफ्रेस की परंपरा के अनुसार सवाल पूछे जाने पर उसका जवाब, उस व्यक्ति को देना होता है, जिससे सवाल पूछा गया है। लेकिन जब मोदी से एक पत्रकार ने सवाल पूछना शुरू किया तो उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया, कि अध्यक्ष हमारे सबकुछ होते हैं’ और मुस्कुराते हुए उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया। कुल मिलकार उनका यह कार्यकाल बिना किसी प्रेस कांफ्रेस किए बिना,पूरा होने के लिए याद किया जाएगा।
उठती रही है प्रेस कॉन्फ्रेंस की मांग
राजनीतिक गलियारों से भी प्रधानमंत्री मोदी से प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की मांग उठती रही है। कई विपक्षी नेताओं के साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी बीते 5 साल से लगातार इस बात को मुद्दा बनाते रहे हैं कि प्रधानमंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करते।
तेलंगाना विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल ने निशाना साधते हुए कहा था, 'प्रिय मोदी जी, अब चुनाव प्रचार पूरा हो गया है। आशा करता हूं कि आप प्रधानमंत्री के तौर पर अपने पार्ट टाइम जॉब के लिए कुछ समय निकालेंगे। आपको प्रधानमंत्री बने 1,654 दिन हो गए। फिर भी कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं? हैदराबाद में संवाददाता सम्मेलन की कुछ तस्वीरें आपके लिए शेयर कर रहा हूं। किसी दिन कोशिश करिए। सवालों की बौछार का सामना करना मजेदार होता है।'' इसके अलावा राफेल डील को लेकर भी प्रधानमंत्री के प्रेस कॉन्फ्रेंस की मांग लगातार राहुल गांधी करते रहे हैं। लेकिन आज के प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी मोदी ने सिर्फ अपनी बात रखकर सवालों से किनारा कर लिया।