राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के लंबे समय तक दोस्त रहे पत्रकार जयंत घोषाल ने बताया कि स्वास्थ्य कारणों से जब उनसे धूम्रपान छोड़ने के लिए कहा गया तो उन्होंने धूम्रपान तो नहीं किया लेकिन बिना किसी निकोटिन के मुंह में पाइप जरूर रखते थे और उसे चबाते रहते थे ताकि वह महसूस कर सकें।
घोषाल की उनकी मुलाकात 1985 से है। उनका कहना है कि कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी हस्तियों द्वारा तोहफे में प्रणव मुखर्जी को पांच से ज्यादा पाइप मिली थी और यह पूरा संग्रह उन्होंने राष्ट्रपति भवन संग्रहालय को दे दिया। उन्हें पहला पाइप असम के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता देबकांत बरुआ ने दिया था। उधर, लंबे समय तक प्रणव के सहयोगी रहे सीनियर कांग्रेसी लीडर व पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज पाटिल ने उन्हें ऐसा शख्स बताया है जो देश की राजनीति और अर्थशास्त्र को बेहतर तरीके से जानता है। वह संसद में सबसे सीनियर सदस्यों में से एक रहे और एक मंत्री के तौर पर उनका आचरण भी बेहद शालीन रहा। बिना सरकार के लिए संविधान की सुरक्षा की जिम्मेदारी को वह बखूबी समझते थे।