राष्ट्रपति मुखर्जी ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा चलाए गए लैंगिक न्याय को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम तब तक सफल नहीं हो सकते जब तक कि हमारी अंतरआत्मा में मानवीय बुनियादी मूल्यों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता न हो। महिलाओं के प्रति हिंसा उनके खिलाफ, ऐसा कुकृत्य करने वालों के दिल और मस्तिष्क में व्याप्त हिंसा को परिलक्षित करता है।
विमेंस इंडियन एसोसिएशन की स्थापना में राष्ट्रपति ने डॉ. एनी बेसेंट और सरोजनी नायडू को उनकी अग्रणी भूमिका के लिए याद किया और कहा कि विमेंस इंडियन एसोसिएशन की भूमिका लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने, शारदा विधेयक-बाल विवाह निषेध अधिनियम को लागू कराने और देवदासी प्रथा को समाप्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि विमेंस इंडियन एसोसिएशन की और अधिक शाखाएं अपने अनुसार, समाज में परिवर्तन लाने के लिए अन्य सामाजिक कारणों को प्रतिबद्धता और उत्साह के साथ कर रही हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि विमेंस इंडियन एसोसिएशन देश की महिलाओं की सामूहिक आकांक्षाओं को साकार करने में अपनी अग्रणी भूमिका जारी रखेगा।