देश भर में जीएम सरसो को जारी करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा विचार किए जाने का देश भर में विरोध हो रहा है। इस बारे में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर को पत्र लिखकर इस प्रक्रिया को रोकने की मांग की गई है। जीएम के खिलाफ बने गठबंधन का कहना है कि जिस तरह से केंद्र सरकार जीएम सरसो को जारी करने की तैयारी कर रही है, वह सही नहीं है। इससे जुड़े खतरों की अनदेखी करने के साथ-साथ जिस प्रक्रिया के जरिए यह मंजूरी मिलनी चाहिए, वह भी पूरी नहीं की गई है।
इस बारे में 5 फरवरी यानी आज बुलाई गई जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रेसल कमेटी (जीएमएसी) को लेकर भी खासा हंगामा रहा। देश के अलग-अलग हिस्सों में इस मंजूरी दिए जाने की प्रक्रिया के विरोध में धरना-प्रदर्शन शुरू हो गया है और इसी कड़ी में आज दिल्ली में भी हुआ। प्रदर्शनकारियों ने केंद्र से जीएम सरसो के आवेदन को मंजूरी देने की प्रक्रिया को रोकने को कहा है। इसके विरोध में राजनीतिक दलों ने भी विरोध में स्वर उठाना शुरू कर दिया है। भाकपा के सांसद डी.राजा ने भी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर को पत्र लिखकर मांग की है कि पहले इससे संबंधित तमाम जानकारियों को सार्वजनिक करना चाहिए और उस पर व्यापक सहमति बनाने की कोशिश होनी चाहिए। इस बारे में जनता दल (यू) के सांसद के.सी त्यागी ने आउटलुक को बताया कि जीएम सरसो पर भाजपा सरकार का रुख उसकी नीयत का खुलासा करता है। जब भाजपा सत्ता से बाहर थी, तो इसका विरोध कर रही थी और सत्ता में जाते ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबाव में जीएम को हरी झंडी दिखाने के लिए आतुर हो रही है।
जीएम के खिलाफ गठबंधन से जुड़ी कविता कुरघंती का कहना है कि केंद्र सरकार जिस तरह से आनन-फानन में जीएम सरसो को हरी झंडी देने की फिराक में है, वह बेहद खतरनाक है। तमाम राज्य सरकारे जीएम के खिलाफ है, किसान संगठन जीएम के खिलाफ है, लेकिन उनकी चिंताओं पर केंद्र सरकार ध्यान देने को तैयार नहीं है। अगर सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला तो देश भर में इसके खिलाफ बड़ा आंदोलन होगा।