इन उपग्रहों को दो अलग-अलग कक्षाओं में प्रवेश करवाने के लिए चार चरणीय ईंजन को दो बार पुन: शुरू किया गया। सबसे पहले 371 किलोग्राम वजन वाले प्राथमिक उपग्रह स्कैटसैट-। को पोलर सन सिंक्रोनस आॅर्बिट में प्रवेश कराया गया। इस कक्षा में उपग्रह सूर्योन्मुख होता है। स्कैटसैट-। को कक्षा में प्रवेश करवाने का काम पीएसएलवी सी-35 के सुबह नौ बजकर 12 मिनट पर अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरने के लगभग 17 मिनट बाद किया गया।
इसके बाद राॅकेट ने लगभग दो घंटे 15 मिनट बाद अन्य उपग्रहों को 689 किलोमीटर की उंचाई पर स्थित एक निचली ध्रुवीय कक्षा में सटीकता के साथ प्रवेश करवाया। पीएसएलवी एक्सएल प्रारूप के तहत अपनी इस 15वीं उड़ान में जितने पेलोड अपने साथ ले गया है, उसका कुल वजन लगभग 675 किलोग्राम है। स्कैटसैट-। के अलावा जिन उपग्रहों को कक्षा में प्रवेश कराया गया, उनमें भारतीय विश्वविद्यालयों के दो उपग्रह- प्रथम और पी आई सैट, अल्जीरिया के तीन उपग्रह- अलसैट-।बी, अलसैट-2बी और अलसैट-।एन, अमेरिका का उपग्रह- पाथफाइंडर-। और कनाडा का उपग्रह- एनएलएस-19 शामिल थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अत्याधुनिक मौसम उपग्रह स्कैटसैट-। और सात अन्य उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि उनके नवोन्मेषी उत्साह ने दुनिया भर में भारत को गौरवान्वित किया है। प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा, यह भारत के लिए अत्यंत प्रसन्नता एवं गर्व का क्षण है। पीएसएलवी-सी35: स्कैटसैट-। और सात अन्य उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को बधाई। उन्होंने कहा, हमारे अंतरिक्ष वैग्यानिक इतिहास रचते रहे हैं। उनके नवोन्मेषी उत्साह ने 125 करोड़ भारतीयों के जीवन को छुआ है और भारत को विश्वभर में गौरवान्वित किया है। भाषा एजेंसी