अपने अब तक के सबसे लंबे अभियान के तहत भारत के सबसे अहम प्रक्षेपणयान पीएसएलवी ने सोमवार को आठ उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण करने के बाद उन्हें दो अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित कर दिया। इन आठ उपग्रहों में भारत का एक मौसम उपग्रह स्कैटसैट-। और अन्य देशों के पांच उपग्रह भी शामिल हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस एेतिहासिक सफलता पर इसरो को बधाई दी है।
भारत ने गुरुवार को आईआरएनएसएस-1जी उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। इस के साथ ही भारत ने भी अमेरिका के जीपीएस की तर्ज पर क्षेत्रीय दिशासूचक प्रणाली का अपना ऐतिहासिक अभियान पूरा कर लिया।
अमेरिका आधारित जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) जैसी क्षमता हासिल करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए बुधवार को भारत ने अपने पांचवे दिशासूचक उपग्रह आईआरएनएसएस-।ई का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर दिया। भारत ने यह प्रक्षेपण अपने विश्वसनीय पीएसएलवी-सी31 के माध्यम से किया।
भारत से अगले हफ्ते सिंगापुर निर्मित छह सेटेलाइट प्रक्षेपित किए जाएंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कुल 625 किलो वजन वाले इन प्रक्षेपास्त्रों को पोलर सेटेलाइट लांच व्हिकल (पीएसएलवी) रॉकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा।
अपनी पहली अंतरिक्ष वेधशाला एेस्ट्रोसैट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर भारत अंतरिक्ष वेधशाला रखने वाले कुछ चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है। एस्ट्रोसैट अपने साथ छह विदेशी उपग्रहों को भी कक्षा में स्थापित करने के लिए भेजा गया है। यह पहली बार है, जब भारत ने अमेरिकी उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं।