पंजाब सरकार का आखिरी बजट सत्र सोमवार को विपक्ष के हंगामे के साथ शुरू हो गया। लंबे समय से सक्रिय राजनीति से दूरी बना कर बैठे पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी इसमें शामिल हुए। 2019 के लोकसभा चुनावों के बीच कैप्टन के साथ विवाद के बाद यह दूसरी बार हैं जब सिद्धू ने विधानसभा की कार्रवाई में हाजिरी लगवाई हो।
इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से लाए कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए बुलाए गए एक दिन के विशेष सत्र में भी सिद्धू ने हाजिरी भरी थी। इस सत्र में सिद्धू ने कैप्टन अमरेंद्र सिंह के हक में उतरते हुए, पंजाब सरकार के तीनों ही कृषि कानूनों को राज्यों में रद्द करने के फ़ैसले को सही बताया था। उस समय सिद्धू ने कहा था कि खेती कानूनों के खिलाफ मुख्यमंत्री का फ़ैसला केंद्र के काले कानूनों के मुंह पर थप्पड़ है और इस थप्पड़ की गूंज हिंदुस्तान में सुनाई देगी।
जैसे ही सिद्धू विधानसभा में संबोधन के लिए खड़ें हुए तो सभी मंत्रियों और विधायकों की नज़रें सिद्धू पर जा टिकीं और जैसे ही सिद्धू ने मुख्यमंत्री के फ़ैसले को केंद्रीय कानूनों के मुंह पर थप्पड़ की तरह बताया तो विधानसभा अंदर मौजूद मंत्रियों और विधायकों ने मेज़ थपथपा कर इसकी हिमायत की थी।
पंजाब कांग्रेस इंचार्ज हरीश रावत के प्रयत्नों से 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद कैप्टन अमरेंद्र सिंह और नवजोत सिद्धू के बीच पैदा खटास कम होती नज़र आ रही है। इसी का नतीजा है कि मुख्यमंत्री ने सिद्धू की कैबिनेट में वापसी के लिए हां कर दी है। संभव है कि इस बजट सत्र के बाद सिद्धू की कैबिनेट में वापसी हो सकती है।