फंसे प्रवासी श्रमिकों से रेल किराया वसूले जाने की आलोचना के बीच खबर है कि महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक ने इन ट्रेनों के लिए भुगतान नहीं किया है। रेलवे ने अभी तक 45 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। सोमवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रवासी श्रमिकों के लिए किराया देने से इनकार कर दिया था। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान, तेलंगाना, झारखंड और गुजरात जैसे राज्यों ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए किराये का भुगतान किया है। हालांकि गुजरात सरकार ने एक एनजीओ से यह भुगतान करवाया है।
बता दें, किराए को लेकर राजनीति भी लगातार तेज है। सोमवार को कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मोदी सरकार पर हमला बोला। दरअसल, लॉकडाउन का तीसरा चरण अगले 17 मई तक लागू है। इसकी वजह से प्रवासी श्रमिक बड़ी तादाद में देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हुए हैं। कई राज्यों की मांग के बाद केंद्र ने गाइडलाइन जारी कर कुछ शर्तों के साथ श्रमिकों और छात्रों को ट्रेन से ले जाने की मंजूरी दी है।
‘महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक जैसे राज्य ले रहे पैसे’
सूत्रों के मुताबिक गुजरात सरकार द्वारा ट्रेन के किराए के भुगतान का एक हिस्सा राज्य का एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) भी वहन कर रहा है। वहीं, महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों से चलने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए राज्य सरकारों ने मजदूरों से पैसे लिए हैं। ओडिशा सरकार ने भी प्रवासी मजदूरों के टिकट के लिए भुगतान नहीं किया है। दक्षिणी राज्यों से आए प्रवासी मजदूरों ने अपने टिकट के लिए स्वयं भुगतान किया है।
रेलवे ने कहा, सोशल डिस्टेंसिंग के कारण परिचालन खर्च ज्यादा
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यात्रा करने वाले सभी लोगों को भोजन और बोतलबंद पानी दिया जा रहा है। अब तक 45 ट्रेनें चलाई गई हैं। रेलवे की तरफ से कहा गया है कि कहीं पर भी किसी प्रवासी से किराया नहीं वसूला जा रहा है। एक अधिकारी ने कहा कि इस वक्त केवल 72 सीटों में 54 सीटें ही बुक की जा रही हैं, जिसकी वजह से ट्रेन चलाने का खर्च बढ़ रहा है। वास्तव में, रेलवे के स्लीपर क्लास के टिकट पर भी सामान्य समय में लगभग 43 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है।
केंद्र की सफाई, रेलवे वहन कर रहा है 85% किराया
इससे पहले रेलवे द्वारा प्रवासी श्रमिकों और छात्रों से वसूले जा रहे किराए को लेकर केंद्र ने सफाई दी। केंद्र सरकार ने कहा कि उसने कभी इन यात्रियों से पैसे लेने की बात नहीं कही है। किराये का 85% रेलवे वहन कर रहा है। बाकी 15% किराया राज्य सरकारें दे रही हैं। यह बात स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने अपने दैनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सोमवार को कही।
सरकारी सर्कुलर में रियायत का कोई उल्लेख नहीं
लेकिन रेलवे बोर्ड और केंद्रीय गृह मंत्रालय के सर्कुलर टिकट चार्ज के बारे में अलग ही बात करते हैं। रेलवे बोर्ड ने अपने सर्कुलर में कहीं भी 85 फीसदी रियायत का उल्लेख नहीं किया है। उसने कहा है कि राज्य सरकार के अधिकारियों को टिकटें दी जाएंगी। वे यात्रियों से किराया वसूलेंगे और पूरी रकम रेलवे को जमा करवाएंगे। गृह मंत्रालय ने भी एक मई के अपने सर्कुलर में रियायत का कोई उल्लेख नहीं किया है, बल्कि उसने टिकट की बिक्री की बात कही है। उसका कहना है कि टिकट बिक्री के बारे में गाइडलाइन रेल मंत्रालय जारी करेगा।