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भारत की ओर से चीन को एक और झटका, रेलवे ने 471 करोड़ रुपये का करार किया खत्म

भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव के चलते भारत, चीन को आर्थिक तौर पर झटका दे रहा है। अब रेलवे ने शुक्रवार को...
भारत की ओर से चीन को एक और झटका, रेलवे ने 471 करोड़ रुपये का करार किया खत्म

भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव के चलते भारत, चीन को आर्थिक तौर पर झटका दे रहा है। अब रेलवे ने शुक्रवार को चीनी कंपनी के साथ 471 करोड़ रुपए का करार खत्म कर दिया है। चीनी कंपनी बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन ग्रुप कंपनी लिमिटेड को 2016 में कानपुर और मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर लंबी रेल खंड पर ठेका दिया गया था जो अब उससे वापस ले लिया गया।

ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में धीमी गति के कारण कंपनी ने पिछले महीने इस ठेके को रद्द करने का निर्णय जिसे लेकर टर्मिनेशन लेटर शुक्रवार को जारी कर दिया गया। इस योजना को लेकर ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के प्रबंधन निदेशक अनुराग सचान का कहना है कि चीनी कंपनी को 14 दिन का नोटिस जारी किया गया था और अब उसे टर्मिनेशन लेटर दिया गया है।

बता दे कि कंपनी को 2019 तक इस योजना का काम पूरा करना था लेकिन अभी तक सिर्फ 20 दिन ही काम हो पाया है, ऐसे में अप्रैल महीने में चीनी कंपनी का करार खत्म करने के बारे में विश्व बैंक को जानकारी दे दी गई थी।

विश्व बैंक कर रहा है फंडिग

दरअसल इस योजना के तहत विश्व बैंक के सारे पैसे मुहैया करा रहा है, इसे लेकर अनुराग सचान ने कहा कि हमें अभी विश्व बैंक से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिला है, लेकिन हमने विश्व बैंक को करार खत्म करने और इस काम के लिए खुद फंड देने की जानकारी दे दी है।

बता दें कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष के बाद देश में चीनी उत्‍पादों के बहिष्‍कार की मांग जोर पकड़ती जा रही है। लद्दाख संघर्ष में भारत के 20 सैनिकों को जान गंवानी पड़ी थी, दूसरी ओर खबरों के मुताबिक चीन के भी करीब 43 सैनिकों की इस संघर्ष में मौत हुई है।

इससे पहले भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने भी यह फैसला किया था कि बीएसएनएल के 4जी इक्विपमेंट को अपग्रेड करने के लिए चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।  मंत्रालय ने बीएसएनएल से कहा है कि सुरक्षा कारणों के चलते चीनी सामान का इस्तेमाल नहीं किया जाए। विभाग ने इस संबंध में टेंडर पर फिर से काम करने का फैसला किया है। विभाग निजी मोबाइल सेवा ऑपरेटरों से चीनी कंपनियों द्वारा बनाए गए उपकरणों पर उनकी निर्भरता को कम करने के लिए भी विचार कर रहा है।

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