यह कार्रवाई सबरंग ट्रस्ट द्वारा विदेशी चंदे के गलत इस्तेमाल के आरोप में की गई है। सबरंग ट्रस्ट पर आरोप है कि उसने एनजीओ के लिए आए विदेशी चंदे का ट्रस्ट संचालकों के निजी खर्चे में इस्तेमाल किया। इस मामले में जांच अभी चल रही है।
गौरतलब है कि तीस्ता सीतलवाड 2002 के गुजरात दंगों का मामला विभिन्न अदालतों में उठाती रही हैं और गुजरात के मुख्यमंत्री काल से ही नरेंद्र मोदी की कड़ी आलोचक रही हैं। गुजरात दंगों के दौरान कांग्रेसी सांसद अहसान जाफरी समेत कई लोगों की मौत के मामले को उठाने को लेकर तीस्ता लगातार सुर्खियों में रही। गुलबर्गा सोसायटी में हुई इन मौतों के मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने और एक म्युजियम बनाने के नाम पर विदेशों से चंदा जमा करने और उस पैसे के दुरुपयोग के आरोप भी तीस्ता पर लगे हैं।
केंद्र में नरेंद्र मोदी के आने और प्रधानमंत्री बनने और अमित शाह के भाजपा अध्यक्ष बनने के साथ ही तीस्ता सीतलवाड के एनजीओ के दुर्दिन आरंभ हो गए थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल 9 सितंबर को सबरंग ट्रस्ट का लाइसेंस विदेशी चंदा नियम के उल्लंघन के आरोप में कैंसिल कर दिया था। तभी से ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन रद्द होने की आशंका जताई जा रही थी।