ऋषिगंगा नदी के जल स्तर में वृद्धि के बाद अस्थायी रूप से रोक दिए गया था, लेकिन अब चमोली से दूर जोशीमठ में सुरंग का संचालन शुरू हुआ है। एनडीआरएफ कर्मियों का कहना है, "जल स्तर बढ़ रहा है, इसलिए टीमों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है। ऑपरेशन को सीमित टीमों के साथ फिर से शुरू किया गया है।
इससे पहले राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने चमोली जिले के तपोवन का दौरा किया। इस दौरान राज्यपाल ने कहा, "हम लगातार अधिकारियों के संपर्क में हैं। यह प्राकृतिक आपदा है जो किसी के वश में नहीं है। ईश्वर से प्रार्थना है कि अंदर फंसे लोग जल्दी बाहर आएं।"
पर्यावरणविद डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा है कि यह मात्र उत्तराखंड के लिए संकेत नहीं है बल्कि पूरे देश का सवाल है। हम प्रकृति के विज्ञान को न मानते हैं न समझते हैं। यह प्रकृति को न समझने की भूल है। सवाल सरकारों से है कि केदारनाथ और इस घटना के बाद हमने क्या सबक लिया। इसकी समीक्षा होनी चाहिए।
बता दें, यहां अब तक 34 शव बरामद हो चुके हैं और लगभग 197 अन्य लापता हैं। बाढ़ से क्षतिग्रस्त तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की गाद से भरी सुरंग में फंसे 25-35 लोगों तक पहुंचने के लिए बचाव दलों ने बुधवार को ड्रोन और रिमोट सेंसिंग उपकरणों की सहायता ली गई। लापता लोगों की तलाश में नौसेना के मरीन कमांडो जुटे हुए हैं। इस बीच मजदूरों को बचाने में जुटी सेना ने अपने ऑपरेशन में एक बड़ा बदलाव किया है। अब सेना टनल के अंदर 72 मीटर पर एक ड्रिल कर रही है।