मोदी सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बीच तनातनी चल रही है। पिछले कुछ दिनों से यह खुलकर जाहिर भी हुई है। इन खबरों के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े हुए संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने गवर्नर उर्जित पटेल को लेकर बड़ा बयान दिया है।
स्वदेशी जागरण मंच ने बुधवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिये अन्यथा वह अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
स्वदेशी जागरण मंच का यह बयान ऐसे समय आया है जब सरकार और आरबीआई के बीच विभिन्न मुद्दों पर तनाव बढ़ रहा है। मंच के सह-संयोजक अश्निनी महाजन ने पीटीआई से कहा, "आरबीआई के गवर्नर को सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिये वरना वह इस्तीफा दे सकते हैं।"
‘असहमति होने पर सार्वजनिक तौर पर बोलने से बचना चाहिये’
महाजन ने कहा कि केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर के साथ-साथ अन्य अधिकारियों को सरकार के साथ किसी भी तरह की असहमति होने पर सार्वजनिक तौर पर बोलने से बचना चाहिये। महाजन ने कहा यदि सरकार के साथ किसी मुद्दे पर असहमति है तो उसे सार्वजनिक तौर पर नहीं बल्कि बैंक के निदेशक मंडल में उठाना चाहिये।
RBI officials should maintain discipline of restraint if they can’t, then they should quit because such public statements hurt India’s image globally @swadeshimanch
— ASHWANI MAHAJAN (@ashwani_mahajan) October 31, 2018
विरल आचार्य के बयान के बाद मचा बवाल
सरकार और आरबीआई के बीच मतभेद तब उजागर हुए, जब बीते शुक्रवार को मुंबई के एक कार्यक्रम में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर डॉ. विरल आचार्य ने कहा था कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को कमजोर करना 'विनाशकारी' हो सकता है। जिस पर बाद में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आरबीआई पर भड़ास निकालते हुए कहा था कि जब एनपीए बंट रहा था, तब आरबीआई भी चुप रहा। हालांकि बाद में वित्तमंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि आरबीआई की स्वायतत्ता जरूरी है और इसका सरकार सम्मान करती है। सरकार और आरबीआई को मिलकर जनहित में काम करना चाहिए।
ऐसे बढ़ी कड़वाहट
माना जाता है कि आरबीआई और सरकार के बीच मतभेदों की शुरुआत दरअसल उस समय हुई जब सरकार ने दो माह पहले आरएसएस के स्वदेशी जागरण मंच से ताल्लुक रखने वाले और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी कहे जाने वाले एस गुरुमूर्ति को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में अंशकालिक निदेशक बनाया। यह भी माना जाता है कि नवंबर 2016 में हुए नोटबंदी के फैसले में भी दिमाग एस गुरुमूर्ति का ही था। गौरतलब है कि उर्जित पटेल को आरबीआई का गवर्नर बनाए जाने के तीन माह के भीतर ही सरकार ने नोटबंदी का ऐलान किया था।
रिजर्व बैंक में नियुक्त होने से पहले तक गुरुमूर्ति आरबीआई की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं। इसी साल जुलाई में उन्होंने एक ट्वीट किया था कि, "भारत के केंद्रित समाधान तलाशने के बजाय आरबीआई वैश्विक विचारों के अधीन काम कर रहा है। ऐसा करके रघुराम राजन ने आरबीआई की स्वायत्तता को नुकसान पहुंचाया है। आरबीआई अब इस लाइन से हट नहीं सकेगा, क्योंकि उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा से अलग होने का डर रहेगा। आरबीआई ने भारत के लिए सोचने की अपनी क्षमता खो दी है।"
बता दें कि एस. गुरुमूर्ति ने डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य की पिछले सप्ताह की टिप्पणियों को लेकर केंद्रीय बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल से शिकायत भी की है।