राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता एम.जी वैद्य द्वारा आरक्षण विरोधी लाइन लेने और खुलकर गुजरात में आरक्षण के मुद्दे पर चल रहे पटेलों के आंदोलन के समर्थन में बोलने से राजनीति गरम हो गई है। बिहार में इसे एक बड़े मुद्दे के तौर पर पेश करने की तैयारी में जुट गया है जनता दल (यूनाइटेड) और उसका महागठबंधन। इस बयान के जरिए महागठबंधन आरक्षण का लाभ लेने वाली जातियों को संबोधिक करने की योजना बना रहा है, जिनमें भाजपा ने अच्छी खासी सेंध लगाई है।
संघ के वरिष्ठ नेता और संघ के मुख्यपत्र ऑर्गनाइजर के पूर्व संपादक एम.जी. वैद्य ने एक दैनिक अखबार को दिए साक्षात्कार में खुलकर हार्दिक पटेल का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी मांग सही है, कि या तो आरक्षण सबको दो या फिर खत्म कर दो। उन्होंने कहा कि दलितों, आदिवासियों तथा अन्य पिछड़ी जातियों को दिए जाने वाला आरक्षण समाप्त कर देना चाहिए क्योंकि अब इसकी जरूरत नहीं हैं। अब कोई भी जाति पिछड़ी नहीं है, लिहाजा किसी को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए। हार्दिक का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि वह सही है कि आज लोग जाति की वजह से नहीं आर्थिक स्थितियों की वजह से पिछड़े है। अगर आरक्षण का आधार जाति को हटाकर आर्थिक कर दिया जाए तो आरक्षण स्थायी नहीं होगा। इस तरह से यह कहा जा सकता है कि गुजरात के पटेलों के आरक्षण आंदोलन की जड़ संघ की आरक्षण विरोधी विचारधारा से मिली हुई है।
वैद्य के इस बयान के खिलाफ जनता दल यूनाइटेड के सांसद के.सी. त्यागी ने कड़ा विरोध करते हुए इसें संविधान विरोधी बताया और कहा कि यह दलितों, आदिवासियों और ओबीसी समुदाय के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि आरक्षण का विरोध करना भाजपा और संघ को बिहार चुनाव में भारी पड़ेगा।