रांची के मांडर की रहने वाली सलोमी की मौत बहुत पहले हो गई थी। कोई 26 साल पहले। मांडर में ही वर्ष 1994 में उसे दफन कर दिया गया। बात आई गई हो गई। इधर उसके कब्र को लेकर तरह-तरह की अफवाहें फैलने लगीं। आसपास के लोगों ने आधी रात में कब्र के पास से किसी के रोने की आवाज सुनी थी।
सुबह लोग जुटे, कब्रिस्तान देखने गये तो मालूम पड़ा कि सलोमी के कब्र पर ताजी मिट्टी पड़ी थी। जितना मुंह, उतनी बातें। खबर मिलने पर सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रखंड अध्यक्ष रोशन इम्मानुएल तिग्गा, मांडर की मुखिया अंजलिना खलको भी वहां पहुंचे।
सलोमी के परिजनों ने आशंका जाहिर की कि कहीं सलोमी के कब्र की खुदाई कर किसी ने खुराफात तो नहीं किया, कोई दूसरी लाश तो दफन नहीं कर दी। शंका समाधान के लिए कब्र की खुदाई का आवेदन अधिकारियों से किया गया। वरीय अधिकारियों से अनुमति ले अंचलाधिकारी और थानाप्रभारी की मौजूदगी में कब्र की खोदाई हुई। करीब चार फीट से अधिक की खोदाई होने के बावजूद कुछ निकला नहीं। अंतत: परिजनों की सहमति से कब्र को यथावत कर दिया गया। मगर लोगों के सामने सवाल अभी भी तैर रहे हैं कि रोने की वह आवाज किसकी थी और कब्र पर ताजा मिट्टी किसने और क्यों डाली।