दार्जिलिंग अदालत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उत्पल मिश्रा ने मंगलवार को शाम यह आदेश दिया। इस दौरान सेन भी अदालत में मौजूद थे। दार्जिलिंग निवासी सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी कबीर राय ने जुलाई 2013 में सारदा समूह के खिलाफ मामला दर्ज कराया था कि उसके कारण उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है।
राय ने अपनी शिकायत में कहा कि उन्होंने इस आश्वासन पर कंपनी में सावधि जमा में एक लाख रूपए का निवेश किया था कि उन्हें परिपक्वता अवधि 15 महीने बाद एक लाख 22 हजार रूपए मिलेंगे। उन्होंने चार महीने तक तीन-तीन हजार रूपए प्रतिमाह भी जमा कराए थे और इसके लिए उन्हें परिपक्वता अवधि पूरी होने के बाद 52,500 रूपए मिलने का वादा किया गया था। लेकिन सारदा समूह ने अप्रैल 2013 में अपने कार्यालयों में ताला लगा दिया जिससे राय को भारी नुकसान हुआ।
कंपनी द्वारा ठगे गए कई अन्य निवेशकों ने भी शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन पुलिस ने सेन के खिलाफ उनके मामले को एक शिकायत पर आधारित किया और जांच शुरू की। सीजेएम अदालत ने अगली सुनवाई के लिए सेन को दो अप्रैल को फिर से पेश करने का पुलिस को आदेश दिया है। सारदा चिटफंड घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है।