नई दिल्ली। सन 1993 में हुए बंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। मृत्युदंड के खिलाफ मेमन की सुधारात्मक याचिका की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया, जिससे उन्हें मौत की सजा देने का रास्ता साफ हो गया है। आगामी 30 जुलाई को उन्हें नागपुर की सेंट्रल जेल में फांसी दी जा सकती है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में उनकी रिव्यू पीटिशन खारिज हो चुकी है। उनकी सुधारात्मक (क्यूरेटिव) पीटिशन की अर्जी को खारिज करते हुए सर्वोच्च अदालत ने उनफांसी की सजा का बरकरार रखा है। उल्लेखनीय है कि याकूब मेमन की फांसी को लेकर देश में एक बार फिर मृत्युदंड पर बहस छिड़ हुई है।
राष्ट्रपति के पास गई याकूब मेमन की दया याचिका पहले ही खारिज कर चुके हैं। टाडा कोर्ट ने 27 जुलाई 2007 को याकूब को बंबई बम धमाकों का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी। याकूब सीरियल ब्लास्ट के मुख्य आरोपी टाइगर मेमन का छोटा भाई। टाइगर मेमन अब भी फरार है। याकूब मेमन के वकीलों की दलील है कि वह धमाकों की साजिश में शामिल था, लेकिन बम विस्फोट को उसने अंजाम नहीं दिया। गौरतलब है कि इस मामले में 10 अन्य दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद में बदल दिया था।