जस्टिस कर्णन को 20 जून को अदालत की अवमानना के मामले में सीआईडी ने पश्चिम बंगाल के कोयंबटूर से गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्हें सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की एक पीठ ने अवमानना का दोषी मानते हुए छह महीने की सजा सुनाई थी। नौ मई को सजा सुनाने के बाद से जस्टिस कर्णन फरार चल रहे थे। जस्टिस कर्णन ने कोर्ट से बेल पर अर्जेंट सुनवाई करने तथा उनकी सजा को खत्म करने का अनुरोध किया था। उनकी दलील को खारिज करते हुए जस्टिस जे एस खेहर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि फैसले के खिलाफ मौखिक याचना को मंजूर नहीं किया जा सकता। जस्टिस कर्णन की ओर से एडवोकेट मैध्यू जे नेदुमपरा ने कहा कि उनके मुवक्किल जेल में सजा काट रहे हैं जिसके चलते याचिका पर अर्जेंट में सुनवाई की जरूरत है।
गौरतलब है कि अवकाशकालीन पीठ ने 21 जून को इस मामले में सात सदस्यीय पीठ के फैसले को पलटने से इंकार कर दिया था। 62 वर्षीय कर्णन 12 जून को भगोड़े के तौर पर रिटायर हो गए थे और उन्हें कलकत्ता हाई कोर्ट में मौजूद नहीं होने के कारण परंपरागत विदाई नहीं दी गई। तमाम प्रयासों के बावजूद जस्टिस कर्णन कोर्ट से कोई रिलीफ लेने में नाकाम रहे।