भारत के मुख्य न्यायधीश टी.एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ कल इस याचिका पर सुनवाई करेगी। नरेंद्र मोदी सरकार के आठ नवंबर के फैसले के खिलाफ चार याचिकायें दायर की गई हैं। सरकार ने आठ नवंबर की मध्यरात्रि से 500 और 1000 रुपये के नोट चलन से वापस लेने का फैसला किया था। इनके स्थान पर 500 और 2,000 रुपये के नए नोट जारी किए गए हैं। सरकार के फैसले के खिलाफ दायर चार याचिकाओं में दो जनहित याचिकाएं दिल्ली के वकील विवेक नारायण शर्मा और संगम लाल पांडे ने दायर की हैं जबकि दो अन्य याचिकाएं दो व्यक्तियों एस. मुथुकुमार और आदिल अल्वी ने दायर की हैं। इससे पहले 10 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने इन याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करने की सहमति जता दी थी।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार के अचानक लिए गए इस फैसले से चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई और लोगों को काफी परेशानी हुई है। ऐसे में आर्थिक मामलों के विभाग की संबंधित अधिसूचना को या तो खारिज कर दिया जाना चाहिए अथवा कुछ समय के लिए स्थगित रखा जाना चाहिए। केंद्र सरकार की तरफ से न्यायालय में कैविएट याचिका दाखिल की गई है जिसमें कहा गया है कि यदि पीठ नोट पर पाबंदी को चुनौती देने वाली किसी याचिका पर सुनवाई करती है अथवा कोई आदेश जारी करती हैं तो उससे पहले केंद्र का पक्ष भी सुना जाना चाहिए।