तीन देशों की यात्रा से लौटे पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने यह फैसला लिया है। वित्तमंत्री के मुताबिक, सेना के लिए जो शांति इलाके में है, उन्हें राशन की नकद राशि दी जाएगी। सियाचिन भत्ता जो उच्चतर है, 31500 की जगह 42500 दिया जाएगा। इसके साथ ही तकनीकी भत्ते में पुनर्गठन किया गया है। स्पेशल फोर्स के भत्ते भी बढ़ाए गए हैं। पेंशनरों के पांच सौ रुपये के चिकित्सा भत्ते को दोगुना यानी एक हजार रुपये किया गया है।
मकान किराये भत्ते को लेकर एक्स, वाई, जेड श्रेणी के शहरों के बारे में आयोग ने बेसिक वेतन के हिसाब से 24 फीसदी, 16 और आठ फीसदी की सिफारिश की थी। जब महंगाई भत्ता 25 फीसदी तक पहुंचेगा तो यह 27, 18 और 9 फीसदी हो जाएगा। जब महंगाई भत्ता 50 फीसदी होगा तो यह दर 30, 20 और 10 फीसदी हो जाएगी और निम्न श्रेणी के कर्मचारियों के लिए इस प्रतिशत के अलावा एक अलग श्रेणी भी तय होगी जो न्यूनतम एचआरए तय करेगा। यह श्रेणी है 5,400, 3,600 और 1,800 रुपये की यानी यह न्यूनतम होगा। इसके बाद जो प्रतिशत ज्यादा बनता है तो ज्यादा भत्ता होगा।
मालूम हो कि सातवें वेतन आयोग से जुड़े भत्तों के मुद्दे पर कर्मचारियों को सरकार से फैसले का इंतजार था। पिछले कुछ हफ्तों से किसी न किसी वजह से सातवें वेतन आयोग से जुड़े भत्तों के मुद्दे पर कैबिनेट की बैठक में चर्चा नहीं हो पा रही थी और इससे कर्मचारियों में इंतजार बढ़ता जा रहा था। ऐसा कहा जा रहा था कि कभी वित्त मंत्री अरुण जेटली तो कभी वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के दिल्ली में न रहने की वजह से इस मुद्दे को कैबिनेट की बैठक में नहीं रखा जा रहा था। पिछले साल 28 जून को ही सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया था।
सरकार ने वेतन आयोग की सिफारिशें पहली जनवरी 2016 से लागू करने का ऐलान किया था लेकिन वेतन आयोग की कई सिफारिशों के बाद केंद्रीय कर्मचारियों ने कई मुद्दों पर अपनी आपत्ति जताई थी। इन मुद्दों में भत्तों को लेकर विवाद भी था जिसके चलते सिफारिशें लागू नहीं हो पाई थीं। सरकार ने इसके लिए एक समिति का गठन किया था जिसकी रिपोर्ट 27 अप्रैल को वित्तमंत्री को सौंप दी गई थी। वित्त मंत्रालय की ओर से यह रिपोर्ट अधिकार प्राप्त सचिवों की समिति को भेजी गई थी। रिपोर्ट पर चर्चा के बाद एक जून को सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने एक कैबिनेट नोट तैयार किया था। सातवें वेतन आयोग से पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के भत्तों के हकदार थे, लेकिन सातवें वेतन आयोग ने कई भत्तों को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया था, जिसके बाद केवल 55 भत्ते रह गए थे। कर्मचारियों को कई भत्तों को समाप्त होने का मलाल था।