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अमरनाथ भूमि विवाद से लेकर पासपोर्ट जब्त होने तक, जानें अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी से जुड़ी बड़ी घटनाएं

जम्मू-कश्मीर में तीन दशकों से ज्यादा वक्त तक अलगाववादी मुहिम की अगुवाई करने वाले एवं पाकिस्तान समर्थक...
अमरनाथ भूमि विवाद से लेकर पासपोर्ट जब्त होने तक, जानें अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी से जुड़ी बड़ी घटनाएं

जम्मू-कश्मीर में तीन दशकों से ज्यादा वक्त तक अलगाववादी मुहिम की अगुवाई करने वाले एवं पाकिस्तान समर्थक सैयद अली शाह गिलानी का बुधवार रात उनके आवास पर निधन हो गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

वह 91 साल के थे। उनके परिवार में उनके दो बेटे और छह बेटियां हैं। उन्होंने 1968 में अपनी पहली पत्नी के निधन के बाद दोबारा विवाह किया था। गिलानी पिछले दो दशक से ज्यादा समय से गुर्दे संबंधी बीमारी से पीड़ित थे। इसके अलावा वह बढ़ती उम्र संबंधी कई और बीमारियों से पीड़ित थे।

कश्मीर घाटी में मस्जिदों से लाउडस्पीकर पर उनके निधन की सूचना दी गई और गिलानी समर्थक नारे लगाए गए। पुलिस ने बताया कि एहतियात के तौर पर कश्मीर में कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगाए गए हैं।

इस बीच कश्मीर घाटी में अफवाहों के फैलने की वजह से भ्रम की स्थिति पैदा होने से रोकने के लिए मोबाइल इंटरनेट एहतियातन बंद किया जा रहा है।

गिलानी के परिवार के एक सदस्य ने बताया कि गिलानी का निधन रात्रि साढ़े 10 बजे हुआ।

जानें कौन थे गिलानी

बता दें कि पूर्ववर्ती राज्य में सोपोर से तीन बार विधायक रहे गिलानी 2008 के अमरनाथ भूमि विवाद और 2010 में श्रीनगर में एक युवक की मौत के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों का चेहरा बन गए थे। वह हुर्रियत कांफ्रेंस के संस्थापक सदस्य थे, मगर वह उससे अलग हो गए और उन्होंने 2000 की शुरुआत में तहरीक-ए-हुर्रियत का गठन किया था। अंततः उन्होंने जून 2020 में हुर्रियत कांफ्रेंस से भी विदाई ले ली।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गिलानी के निधन पर अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए शोक व्यक्त किया।जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि वह गिलानी के निधन की खबर से दुखी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम भले ही अधिकतर चीजों पर सहमत नहीं थे, मगर मैं उनकी दृढ़ता और उनके भरोसे पर अडिग रहने के लिए उनका सम्मान करती हूं।’’

पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने भी गिलानी के निधन पर शोक व्यक्त किया। गिलानी को शहर के बाहरी इलाके स्थित हैदरपोरा में उनकी पसंद की जगह पर दफनाया जाएगा।

बता दें कि उनका पासपोर्ट 1981 में जब्त कर लिया गया था और फिर उनका पोसपोर्ट सिर्फ एक बार 2006 में हज यात्रा के लिए उन्हें लौटाया गया था। उनके विरुद्ध प्रवर्तन निदेशालय, पुलिस और आयकर विभाग में कई मामले लंबित थे।

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