भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी दल शिवसेना ने श्रीलंका में बुर्के पर बैन के बाद भारत में भी ऐसी रोक की मांग की है। श्रीलंका में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बाद वहां की सरकार ने बुर्का पर बैन लगा दिया है। वहीं शिवसेना के इस प्रस्ताव पर केन्द्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि भारत में बुर्का पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में श्रीलंका सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए बुर्के पर पाबंदी की मांग करते हुए संपादकीय लिखा गया है। 'प्रधानमंत्री मोदी से सवाल: रावण की लंका में हुआ, राम की अयोध्या में कब होगा' शीर्षक वाली संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि सीरियल बम धमाकों के बाद श्रीलंका में बुर्का और नकाब समेत चेहरा को ढंकने वाली हर चीज पर रोक लगा दी गई है। वहां की सरकार ने यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लिया गया है। हम इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी को भी श्रीलंका के राष्ट्रपति के कदमों पर कदम रखते हुए हिन्दुस्तान में भी बुर्का और उसी तरह नकाब बंदी करें, ऐसी मांग राष्ट्रहित के लिए कर रहे हैं।
‘बुर्का पहने लोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं’
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक,पार्टी के मुखपत्र में शिवसेना ने कहा, "यह प्रतिबंध एक आपातकालीन उपाय के रूप में सुझाया गया है ताकि सुरक्षा बलों को किसी की पहचान करने में कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। चेहरे पर मास्क या बुर्का पहने लोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।"
बुर्का पहनने वाली सभी महिलाएं आतंकवादी नहीं: रामदास अठावले
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने शिवसेना द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर कहा कि बुर्का पहनने वाली सभी महिलाएं आतंकवादी नहीं हैं, अगर वे आतंकवादी हैं तो उनका बुर्का हटा दिया जाना चाहिए। यह एक परंपरा है और उन्हें इसे पहनने का अधिकार है, भारत में बुर्का पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।
‘श्रीलंका में बुरका मुस्लिमों का पारंपरिक पहनावा नहीं’
डेली मिरर ने मंगलवार को सूत्रों के हवाले से बताया कि श्रीलंका सरकार मस्जिद के अधिकारियों के साथ इस कदम को लागू करने की योजना बना रही थी और इस मामले पर कई मंत्रियों ने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना से बात की थी। इस दौरान यह बताया गया था कि 1990 के दशक की शुरुआत में खाड़ी युद्ध से पहले 'बुर्का' और 'नकाब' श्रीलंका में मुस्लिम महिलाओं की पारंपरिक पोशाक का हिस्सा कभी नहीं थे। उस दौरान "चरमपंथी तत्वों ने मुस्लिम महिलाओं को इस पहनावे का परिचय दिया।"
हमले के बाद श्रीलंका में चेहरे ढंकने पर लगी रोक
ईस्टर पर हुए भीषण आतंकी हमले में 253 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं 500 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (आइएस) ने ली है। हालांकि सरकार स्थानीय आतंकी संगठन नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) को जिम्मेदार मान रही है। इसके मद्देनजर राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेन ने अपनी आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करते हुए रविवार को चेहरा ढंकने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है। हालांकि, सरकारी आदेश में ‘बुर्का’ या ‘नकाब’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है। बता दें कि श्रीलंका की आबादी में करीब 10 प्रतिशत मुस्लिम हैं।