जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने सीतलवाड दंपति की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुये गुजरात पुलिस को यह निर्देश दिया कि वह दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार न करे।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एचएल दातू ने तीस्ता सीलवाड़ मामले की सुनवाई कर रही बैंच को बदल दिया था। पिछली सुनवाई 13 फरवरी को एसजे मुखोपाध्याय और एनवी रमन्ना की बैंच ने की थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जस्टिस मुखोपाध्याय और रमन्ना के बच्चों की शादी में शरीक हुए थे इसीलिए जस्टिस दातू ने इस बैंच को बदल दिया। तीस्ता लगातार गुजरात दंगों में नरेन्द्र मोदी की भूमिका को कटघरे में खड़ा करती रही हैं। और तीस्ता और मोदी एक-दूसरे की विचारधारा के कट्टर विरोधी हैं।
न्यायालय ने सीतलवाड और उनके पति को निर्देश दिया है कि उनके गैर सरकारी संगठनों सबरंग टस्ट और सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस से संबंधित सारे दस्तावेज जांच के लिए मुहैया कराये। तीस्ता और जावेद पर आरोप है कि उऩ्होंने ट्रस्ट के रुपयों का इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत कामों के लिए किया।
न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल का यह अनुरोध स्वीकार कर लिया कि गुजरात पुलिस की जांच के दौरान सीतलवाड दंपति के साथ उनके एकाउंटेंट को प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी जाये।
जांच के दौरान आरोपियों द्वारा असहयोग की गुजरात पुलिस की आशंका के संदर्भ में न्यायाधीशों ने राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी से कहा, यदि वे जांच में सहयोग नहीं करते हैं तो आप उनकी जमानत रद्द करने के लिये हमारे यहां अर्जी दायर कीजिये।
न्यायालय ने सिब्बल को इस तरह का कोई भरोसा नहीं दिलाया कि यह जांच पीडि़तों की स्मृति में संग्रहाल बनाने के लिये दो टस्टों द्वारा 2007 से पहले मिले चंदों तक सीमित रहेगी या फिर यह 2002 से इन संगठनों की गतिविधियों को अपने दायरे में लेगी।