पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में प्रो. खिलनानी ने कहा कि प्राचीन काल के भारत की कुछ पुरानी वर्जनाओं को किनारे रख दें, तो भारत में बदलाव लोगों की अंग्रेजी बोलने की क्षमता से भी नहीं आया और न ही पूर्व ब्रिटिश शासन की ओर से भारत में छोड़ी गई ट्रेनों से हुआ। देश में बदलाव उन महत्वपूर्ण शख्सियतों और समाज में उनकी भूमिका के कारण आया, जिन्होंने देश के विकास में बाधक सामाजिक कुरीतियों और कुप्रथाओं का बहादुरी से और उन तरीकों से विरोध किया, जिसकी उस समय कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
उन्होंने कहा, भारत को अक्सर शोषण, दमन, विरोध या विरक्ति की भूमि के रूप में चित्रित किया जाता है। जो आज के परिदृश्य में सही नहीं है। आज भारत तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था है जो युवा एवं कुशल मानव संसाधनों से युक्त है। आज दुनिया में भारत को कतई नजरंदाज नहीं किया जा सकता जो अपनी प्राचीन परंपरा, सांस्कृतिक विविधता के साथ आर्थिक गतिशीलता बनाये हुए है। प्रो. खिलनानी ने कहा कि महात्मा गांधी में भी एक व्यक्ति के रूप में काफी कमियां हो सकती है, पर उनके एेसे गुण और विशेषताएं थी, जिसका उन्होंने काफी बेहतर इस्तेमाल किया। उनकी दांडी नमक यात्राा इसका सबसे बड़ा८ उदाहरण है। कार्यक्रम में सुनील खिलनानी ने उन 50 प्रभावशाली भारतीयों के बारे में चर्चा की, जिन्होंने भारतीय इतिहास को आकार दिया। इनकी प्रमुख पुस्तकों में द आइडिया आॅफ इंडिया के अलावा इनकारनेशंस- इंडिया इन 50 लाइव्स है, जिसे पेंगुइन बुक्स इंडिया ने प्रकाशित किया है।