नई दिल्ली। अब बिन ब्याही मां भी अपने बच्चे की अभिभावक बन सकती है, इसके लिए पिता की रजामंदी लेने जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले से बिन ब्याही मां के लिए अकेले ही अभिभावक बनने का रास्ता खुल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह महत्वपूर्ण फैसला आया है। याचिका में महिला ने बच्चे की कस्टडी के लिए पिता की रजामंदी की शर्त को चुनौती दी गई थी।
उक्त महिला ने सुप्रीम कोर्ट से बच्चे के पिता की रजामंदी के बगैर अभिभावक बनने के लिए आवेदन की अनुमति मांगी थी। जस्टिस विक्रमजीत ने बच्चे के पिता को नोटिस जारी किए बगैर गार्जियनशिप के लिए आवेदन की छूट दे दी है।
गौरतलब है कि हिंदू माइनोरिटी एंड गार्जियनशिप एक्ट के तहत किसी बच्चे का अभिभावक होने के लिए मां-बाप की शादी होनी जरूरी है। इस कानून के तहत कोई महिला बच्चे का अभिभावक बनने के लिए पिता की रजामंदी के बाद ही आवेदन कर सकती है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने बिन ब्याही मां के लिए अभिभावक बनने का रास्ता खोल दिया है। खासतौर पर ऐसे मामले में जहां बच्चे को पिता के बारे में मालूम नहीं है और मां भी पिता को उसका अभिभावक नहीं बनाना चाहती।