विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि जब तक पाकिस्तान अपनी सरजमीं पर चल रहे आतंकी गुटों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है तब तक उससे कोई बातचीत नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते हैं। साथ ही, विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि अगर इमरान खान (पाकिस्तानी प्रधानमंत्री) इतने उदार हैं और राजनय हैं, उन्हें हमें मसूद अजहर सौंप देना चाहिए।
‘इंडियाज वर्ल्ड: मोदी गवर्नमेंट्स फॉरेन पॉलिसी’ पर बोलते हुए सुषमा ने बुधवार देर शाम कहा कि पाकिस्तान को अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई और सेना पर नियंत्रण करने की जरूरत है जोकि द्विपक्षीय संबंधों को बार-बार नष्ट करने पर तुले रहते हैं। हम आतंकवाद पर बात नहीं करना चाहते हैं बल्कि हम इस पर कार्रवाई चाहते हैं। उन्होंने वायुसेना की बालाकोट में की गई एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के बदले की कोशिश पर भी सवाल उठाए।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने आतंकी गुट जैश-ए-मोहम्मद को निशाना बनाया था। ऐसे में पाकिस्तानी सेना ने जैश की तरफ से हम पर हमला क्यों किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान न केवल जैश को अपनी सरजमीं पर पाले हुए है बल्कि फंड भी मुहैया करा रहा है। जब पीड़ित देश जैश पर कार्रवाई करते हैं तो वह आतंकी गुट की तरफ से हमला करता है।
मसूद अजहर को हमें सौंप दें ‘स्टेट्समैन’ इमरान
विदेश मंत्री ने कहा कि यदि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इतने ही उदार और स्टेट्समैन हैं तो वह मसूद अजहर को हमें सौंप दें। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते हो सकते हैं बशर्ते पड़ोसी देश “अपनी जमीन पर आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करें।
ओआईसी में शामिल होकर भारत ने लिया अपमान का बदला
आर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) को लेकर सवाल पर सुषमा ने कहा कि इस बैठक में गेस्ट ऑफ ऑनर बनकर भारत ने 50 साल पहले हुए अपमान का बदला लिया। उन्होंने कहा कि 1969 में देश को उस समय अपमानित होना पड़ा जब कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के बावजूद पाकिस्तान के विरोध के चलते बैठक में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई। लेकिन अब 50 साल बाद भारत गेस्ट ऑफ ऑनर की सीट पर था जबकि पाकिस्तान की सीट खाली पड़ी थी।
हमारी विदेश नीति ‘देश हित सर्वोच्च’ पर आधारित
मोदी सरकार की विदेश नीति का जिक्र करते हुए स्वराज ने कहा कि यह दो सिद्धांतों ‘राष्ट्र हित सर्वोच्च’ और ‘दुनिया हमारा परिवार है’ पर आधारित है। पीएम समेत अन्य मंत्रियों के लगातार विदेश दौरों पर उन्होंने कहा कि हम विदेशी दौरे केवल घूमने-फिरने के लिए नहीं बल्कि अन्य देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने के लिए करते हैं। इन देशों के संबंधों का ही परिणाम है कि हम यमन से 7000 लोगों को सुरक्षित निकाल सकें। हमारे द्विपक्षीय संबंधों का असर अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) के चुनाव में भी दिखा। इसके अलावा भी इन दौरों का प्रभाव समय-समय पर दिखता रहा है।
‘कई देशों को बता दिया था पुलवामा को नियति मान कर बैठेंगे नहीं’
सुषमा ने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद उन्होंने दुनिया के कई देशों को बता दिया कि भारत पाकिस्तान के साथ तनाव को बढ़ाएगा नहीं लेकिन यदि उस देश से कोई और हमला होता है तो हम चुप नहीं बैठेंगे। पाकिस्तान को डर था कि भारत सीमा पर तनाव को बढ़ा सकता है और उसने इसके लिए कई विदेश मंत्रियों से संपर्क साधा था।
उन्होंने बताया कि इसे लेकर उनके पास कई विदेश मंत्रियों के फोन आए और पुलवामा हमले की निंदा के साथ तनाव को न बढ़ाने की अपील की। इस पर हमने उनसे कहा कि हम तनाव को नहीं बढ़ाएंगे लेकिन यदि कोई दूसरा आतंकी हमला होता है तो हम शांत नहीं बैठेंगे क्योंकि हम पुलवामा को अपनी नियति नहीं मान सकते हैं।