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इंजीनियरिंग सीटों में अब तक सबसे बड़ी कटौती, इस साल 1.67 लाख सीटें कम

देश भर में इंजीनियरिंग के प्रति छात्रों का रूझान साल-दर-साल  घटता जा रहा है। विद्यार्थियों की घटती...
इंजीनियरिंग सीटों में अब तक सबसे बड़ी कटौती, इस साल 1.67 लाख सीटें कम

देश भर में इंजीनियरिंग के प्रति छात्रों का रूझान साल-दर-साल  घटता जा रहा है। विद्यार्थियों की घटती रूचि की वजह से कई इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो गए हैं और कई के बंद होने के आसार हैं।

ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने वालों की संख्या में इन पांच साल में सबसे तेज गिरावट देखी गई है।

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने एआईसीटीई के हवाले से बताया है कि 2017-18 में देश भर में इंजीनियरिंग की 1.67 लाख सीटें कम हुई हैं। बीते साल की तुलना में यह गिरावट दोगुनी है। पिछले साल स्नातक और स्नातकोत्तर इंजीनियरिंग में 16.62 लाख सीटें थी, और 2016-17 में 17.5 लाख सीटें थीं। सीटों में गिरावट का आलम यह है कि 2014 से अब तक 4,26,626 सीट कम हुई हैं। वहीं 2016-17 में बीई/ बीटेक  की 51 फीसदी सीटें खाली रह गईं थी।

कई कॉलेजों ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से संपर्क कर बीटेक व एमटेक सीटों को कम करने का अनुरोध किया है। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सीट कम होने की बड़ी वजह755 कॉलेज हैं जिनके खाते में  95,553 सीटें हैं। ये कॉलेज एआईसीटीई से अनुमोदित सीट में कमी या कुछ इंजीनियरिंग ब्रांच को पूरा बंद करने की मांग किए। इसके अलावा एक ओर एआईसीटीई 83 इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद करने के लिए सहमत हो गई लिहाजा 24,290 सीटें कम हो गई। वहीं दूसरी ओर लगभग 53 संस्थानों को दंडित किया गया और परिणामस्वरूप 17,907 सीटों की कटौती कर दी गई।

एआईसीटीई के सूत्रों के मुताबिक, इंजीनियरिंग सीटों में ये गिरावट पिछले कुछ सालों से कॉलेजों में खराब प्रवेश का परिणाम है।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 2016-17 में 3,291 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 15.5 लाख बीई/बीटेक सीटों में से 51 फीसदी सीटों को नहीं भरा जा सका।

इंजीनियरिंग के प्रति रुझान घटने के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं। रोजगार नहीं मिलने के कारण भी इस तरफ से यूथ का आकर्षण पहले से काफी कम हुआ है। इसके अलावा खराब बुनियादी ढांचे, प्रयोगशालाओं की कमी ,उद्योग के साथ अस्तित्वहीन संबंध जैसे कई कारण है जिससे छात्रों का इंजीनियरिंग से मोहभंग हो रहा है।

 

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