गौरतलब है कि केंद्र सरकार और एनजीओ में लगातार विवाद जारी है। ग्रीनपीस फाउंडेशन की प्रिया पिल्लई वाला मामला हो या इंटेलिजस की उस रिर्पोट का मसला हो, जिसमें इंटेलिजेंस ने केंद्र सरकार को सौंपी एक रिर्पोट में एनजीओ की नकारात्मक भूमिका का जिक्र किया था, बताते हैं कि सरकार एनजीओ के खिलाफ खड़ी है। यही नहीं गुजरात सरकार के लिए हमेशा परेशानी खड़ी करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की संस्था को आर्थिक सहयोग करने वाली अमेरिका की संस्था फोर्ड फाउंडेशन के खिलाफ भी केंद्र सरकार ने मोर्चा खोल दिया है।
लाइसेंस रद्द करने के अलावा एक अन्य आदेश में गृह मंत्रालय ने कहा कि साल 2009-10, 2010-11 और 2011-12 के लिए वार्षिक रिटर्न नहीं दाखिल करने पर 10 हजार 343 एनजीओ को नोटिस जारी किए गए थे। गृह मंत्रालय के अनुसार 16 अक्तूबर 2014 को इन एनजीओ को नोटिस जारी कर कहा गया कि वे एक महीने के अंदर अपना सालाना रिटर्न दाखिल कर बताएं कि उन्हें कितना विदेशी चंदा मिला, कहां से आया, किस उद्देश्य के लिए लिया गया, और किस तरीके से इस विदेशी चंदे का इस्तेमाल किया गया। कुल 10 हजार 344 एनजीओ में से मात्र 229 ने जवाब दिया।
 
 रविवार को जारी अधिसूचना में बताया गया कि बाकी के एनजीओ से जवाब नहीं मिला, इसलिए एफसीआरए के तहत जारी उनका पंजीकरण रद्द कर दिया गया। जिन 8975 एनजीओ का पंजीकरण रद्द किया गया उनमें से 510 ऐसे एनजीओ भी शामिल हैं, जिन्हें नोटिस भेजा गया था लेकिन वह वापस लौट आया।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    