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राष्ट्रगान पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से याचिकाकर्ता संतुष्ट

देशभर के सिनेमाघरों में फिल्म दिखाने से पहले राष्ट्रगान जरूर बजाने और इस दौरान लोगों को सम्मान स्वरूप खड़ा होने के शीर्ष अदालत द्वारा कल दिये गये निर्णय पर भोपाल के याचिकाकर्ता एवं इंजीनियर से सामाजिक कार्यकर्ता बने श्याम नारायण चौकसे ने संतोष व्यक्त किया है।
राष्ट्रगान पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से याचिकाकर्ता संतुष्ट

राष्ट्रगान के सम्मान के मुद्दे पर चौकसे ने उच्चतम न्यायालय में सितम्बर 2016 में याचिका दायर की थी। केन्द्रीय भंडारण निगम के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता 76 वर्षीय चौकसे ने आज यहां पीटीआई-भाषा को बताया, राष्ट्रगान पर उच्चतम न्यायालय के कल के अंतरिम निर्णय से मैं बहुत संतुष्ट हूं।

 उन्होंने कहा, वर्ष 2001 में कभी खुशी कभी गम फिल्म देखने के दौरान फिल्म में राष्ट्रगान बजने पर मैं और कुछ लोग सिनेमाघर में अपने स्थान से खड़े हो गए, जबकि फिल्म देख रहे अधिकांश दर्शक खड़े नहीं हुए, बल्कि ऐसा करने पर हमारी हूटिंग की। चौकसे ने इसके बाद इस मुद्दे पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में वर्ष 2002 में याचिका दायर की। इस पर उच्च न्यायालय ने फिल्म निर्माता करण जौहर को वर्ष 2003 में इस दृश्य को फिल्म से हटाने का आदेश दिया। हालांकि शीर्ष अदालत ने बाद में इस आदेश पर फिल्म निर्माता को स्थगन दे दिया लेकिन इससे चौकसे थमे नहीं और राष्ट्रगान के अपमान के और साक्ष्य इकठ्ठा कर फिर से इस मुद्दे पर याचिका दायर की।

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