अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में अब पब्लिक सर्वेंट की तत्काल गिरफ्तारी नहीं हो सकेगी। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान यह फैसला दिया है।
कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच जरूरी है और गिरफ्तारी से पहले जमानत भी दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी पब्लिक सर्वेंट पर केस दर्ज करने से पहले DSP स्तर का पुलिस अधिकारी प्रारंभिक जांच करेगा। किसी सरकारी अफसर की गिरफ्तारी से पहले उसके उच्चाधिकारी से अनुमति जरूरी होगी।
महाराष्ट्र की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।