सुप्रीम कोर्ट में उसके वकील ने दलील दी है कि चूंकि उसके डेथ वारंट को जारी करने में सभी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया इसलिए डेथ वारंट पर रोक लगाई जाए। मेमन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में उसकी सुधारात्मक याचिका के जारी रहते उसका डेथ वारंट जारी कर दिया गया जो कि नियम के खिलाफ है। हालांकि उसकी सुधारात्मक याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो चुकी है।
इससे पहले मंगलवार की शाम को मेमन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के सामने दया याचिका दायर की। मेमन ने राज्यपाल को संबोधित अपनी यह याचिका नागपुर सेंट्रल जेल के अधिकारियों को सौंपी। इस याचिका को सौंपने से पहले जेल में उसके वकीलों अनिल गेदम और शुभल फारूख ने उससे मुलाकात की। इन वकीलों ने बाद में मीडिया को बताया कि पिछली याचिका याकूब मेमन के भाई सुलेमान मेमन ने भरी थी जबकि राज्यपाल को दायर नई याचिका याकूब ने खुद दी है। गौरतलब है कि मेमन को 30 जुलाई को फांसी दी जानी है और इससे बचने के लिए वह हर संभव प्रयास कर रहा है।
वर्ष 1993 के मुंबई बम धमाकों में करीब 257 लोगों की मौत और 700 लोग घायल हुए थे। इस हमले की साजिश दाउद इब्राहिम और याकूब मेमन के बड़े भाई टाइगर मेमन ने रची थी। याकूब पर इस हमले में मदद करने का आरोप साबित हुआ है। हमले के दो दिन पहले टाइगर मेमन अपने पूरे परिवार के साथ देश छोड़कर भाग गया था और पहले दुबई और उसके बाद पाकिस्तान में ठिकाना बनाया था। हालांकि याकूब मेमन 1994 में वापस लौट आया था। तब मेमन ने दावा किया था कि वह बेकसूर है और जांच में सहयोग के लिए उसने आत्मसमर्पण किया। हालांकि पुलिस ने उसे नई दिल्ली स्टेशन से गिरफ्तार करने का दावा किया था।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने मंगलवार को ही मेमन की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी थी। याकूब मेमन एकमात्र ऐसा मुजरिम है जिनकी मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बनाए रखा है। राष्ट्रपति ने मई, 2014 में उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी।