पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों से राय मांगी थी और कहा था कि कोर्ट 11 मई को सबसे पहले उन सवालों को तय करेगा जिन मुद्दों पर इस मामले की सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह ट्रिपल तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह से मुद्दे पर सुनवाई करेगा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार के अलावा भी मामले से संबंधित कुछ पक्षों ने कोर्ट के सामने अपने सवाल रखे हैं, लेकिन अदालत वे सवाल खुद तय करेगी, जिस पर सुनवाई होगी।
ऐसे हुई थी मामले की शुरूआत
उत्तराखंड के काशीपुर की शायरा बानो ने मार्च 2016 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर ट्रिपल तलाक और निकाह हलाला के चलन की संवैधानिकता को चुनौती दी थी। साथ ही, मुस्लिमों में प्रचलित बहुविवाह प्रथा को भी चुनौती दी। शायरा ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव के मुद्दे, एकतरफा तलाक और संविधान में गारंटी के बावजूद पहली शादी के रहते हुए शौहर के दूसरी शादी करने के मुद्दे पर विचार करने को कहा। अर्जी में कहा गया है कि तीन तलाक संविधान के अनुच्छेद 14 व 15 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इसके बाद, एक के बाद एक कई अन्य याचिकाएं दायर की गईं।
सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने भी ने एक मामले में खुद संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया था कि वह स्पेशल बेंच का गठन करें, ताकि भेदभाव की शिकार मुस्लिम महिलाओं के मामलों को देखा जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल और नैशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी को जवाब दाखिल करने को कहा था।