विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने शोध छात्रों के लिए पीएचडी और एम.फिल प्रोग्राम में दाखिले के लिए एकमात्र पैमाने के तौर पर ओरल इंटरव्यू या वाईवा-वॉयस को समाप्त कर दिया है। यूजीसी ने रिसर्च स्टूडेंट्स के लिए इस विवादास्पद चयन नियम वापस ले लिया है। अब प्रवेश के लिए उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा से भी गुजरना होगा।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यूजीसी रेगुलेशन 2016 की न्यूनतम मानक और एम.फिल/पीएचडी डिग्री के लिए अवार्ड प्रक्रिया में संशोधन किया गया है। नये बदलावों के बाद 70 फीसदी अंक लिखित परीक्षा के लिए और इंटरव्यू के लिए 30 प्रतिशत अंक तय किए गए हैं।
यूजीसी ने एससी, एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा में न्यूनतम अंक में पांच प्रतिशत की छूट की भी मंजूरी दी है। आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार को इंटरव्यू क्वालीफाई करने के लिए प्रवेश परीक्षा में 45 प्रतिशत अंक पाना होगा। जबकि सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को कम से कम 50 फीसदी अंक प्राप्त करना होगा।
बता दें कि साल 2016 में यूजीसी ने सभी शैक्षिक संस्थानों में पीएचडी और एम.फिल कोर्स में भर्ती प्रक्रिया के लिए नया नियम लागू किया था। इसे लेकर काफी विवाद भी हुआ। साक्षात्कार को सौ फीसदी वेटेज देने के नियम को कई छात्र संगठनों ने भेदभाव वाला करार दिया। देश की जानी-मानी यूनिवर्सिटी जेएनयू में भी इसके खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ।
ऑनलाइन डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने को मंजूरी
यूजीसी ने जुलाई सत्र से ऑनलाइन डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने की मंजूरी दे दी है। फिलहाल यह सुविधा उन्हीं शैक्षणिक संस्थानों की दी गई है, जो नियमित कोर्स का पहले से संचालन कर रहे हैं। साथ ही, जिन विषयों में लैब या प्रैक्टिकल की आवश्यकता होगी, उनमें ऑनलाइन कोर्स की इजाजत नहीं दी गई है। इनके अलावा यूजीसी ने ऑनलाइन कोर्स शुरू करने वाले संस्थानों के लिए कुछ मानक भी तय किए हैं। इनमें संस्थान का कम से कम पांच साल पुराना होना और एक्रीडेशन एजेंसी नैक द्वारा कम से कम चार मानकों पर 3.26 का स्कोर हासिल करना शामिल है। साथ ही, नेशनल इंस्टीट्यूशन रैंकिंग फ्रेमवर्क में 100 शीर्ष संस्थानों में जगह मिली हो।