मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अभी भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के दबाव को नजरअंदाज नहीं कर पा रहे है। यही वजह है कि राज्य के वित्त मंत्रालय के विरोध के बावजूद उन्होंने ग्वालियर मेले में टैक्स छूट देने का फैसला ले लिया है। इस मेले का आयोजन ग्वालियर में सिंधिया परिवार कई वर्षों से कराता आ रहा है।
कोरोना की वजह से मध्यप्रदेश सरकार भारी आर्थिक संकट से जूझ रही है। सरकारी मशीनरी राजस्व को बढ़ाने की हर संभव प्रयास कर रही है। इसी बीच ग्वालियर मेले टैक्स छूट के प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय की ओर से मनाही हो गई थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से लगातार बढ़ रहे दबाव के बाद शिवराज सिंह ने इसको स्वीकार कर लिया। उन्होंने ग्वालियर में जाकर खुद टैक्स छूट देने की घोषणा की। मेले में खरीदे गए वाहनों पर रोड़ टैक्स में छूट दी जाएगी। इसमें शर्त रखी गई है कि गाड़ियों का पंजीकरण ग्वालियर में ही होना चाहिए। परिवहन विभाग रोड़ टैक्स में पचास फीसदी छूट देने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है।
ग्वालियर मेला पिछले 105 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है। इस बार कोरोना की वजह से इसके शुरू होने में देरी हो गई। इसके अलावा देरी की मुख्य वजह टैक्स छूट पर कोई फैसला न होने का था। इसका आयोजन दिसंबर में ही प्रस्तावित था, लेकिन टैक्स छूट पर कोई फैसला न हो पाने की वजह से यह टल रहा था। अंत में सिंधिया के दबाव के आगे शिवराज सिंह को झुकना पड़ा और टैक्स छूट देने का फैसला किया।
टैक्स छूट के बाद बढ़ सकता है कारोबार
यह व्यापार मेला 15 फरवरी से शुरू होगा जो अगले पचास दिनों तक जारी रहेगा। यहां पर देश की सभी ऑटोमोबाइल कंपनियां अपना स्टॉल लगाती है। सिंधिया का कहना था कि कहना है कि न मिलने से मेले का कारोबार 100 करोड़ रुपये तक सिमट गया था । टैक्स छूट मिलने के बाद यह बढ़कर 800 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।