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यूपी में जहरीली शराब से मौतों की संख्या 16 हुई, 50 की हालत गंभीर

बाराबंकी जिले के रामनगर थाना क्षेत्र के रानीगांव में मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 24...
यूपी में जहरीली शराब से मौतों की संख्या 16 हुई, 50 की हालत गंभीर

बाराबंकी जिले के रामनगर थाना क्षेत्र के रानीगांव में मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 24 घंटे में कुल 16 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 50 लोगों की हालत गंभीर है और उनका उपचार चल रहा है। हालांकि आधिकारिक तौर पर 12 लोगों के मौत की बात ही कही जा रही है।

मामले में पुलिस ने ठेकेदार बहराईच निवासी दानवीर सिंह, सेल्समैन पप्पू जायसवाल और आशीष सिंह के खिलाफ जहरीली शराब बेचने और हत्या के साथ आबकारी अधिनियम के तहत मुकदमा किया गया है। पुलिस ने सेल्समैन सुनील, शिवम और मातंबर को गिरफ्तार किया है।

सूबे में जहरीली शराब पर रोक लगाने के लिए सरकार की ओर से फांसी तक का प्रावधान किया गया है। इसके बावजूद जहरीली शराब के कारोबार पर रोक नहीं लग पा रही है। हर बार की तरह इस बार भी बड़ों को छोड़, छोटों पर आनन फानन में कार्यवाही कर दी गई। इसमें जिला आबकारी अधिकारी, डिप्टी एसपी समेत 15 पुलिस कर्मियों को निलंबित किया गया है। राजधानी से सटे बाराबंकी में इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भाजपा के किसी बड़ी नेता ने मौके पर जाना भी उचित नहीं समझा। चुनाव के दौरान आबकारी विभाग द्वारा 45.56 करोड़ मूल्य की 16,59,316.5 लीटर मदिरा जब्त की गई थी। ये कार्यवाही विभाग की ओर से आचार संहिता के लागू होने से लेकर 17 मई तक की गई थी। इसके अलावा सहारनपुर और कुशीनगर में जहरीली शराब से सौ से ज्यादा मौतें होने के बाद प्रदेश स्तर पर अभियान शुरू किया गया था, लेकिन वह भी अन्य अभियानों की तरह ठुस्स साबित हुआ।

जांच समिति सुझाएगी सुझाव

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना में प्रत्येक मृतक के परिजनों को 02-02 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। इसके अलावा आबकारी आयुक्त की अध्यक्षता में एक त्रिसदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है। अयोध्या मण्डल के आयुक्त और आईजी समिति के सदस्य नामित किए गए हैं। यह जांच समिति 48 घण्टे के अन्दर अपनी रिपोर्ट शासन को देगी। जांच समिति इस बिन्दु की जांच करेगी कि इस प्रकरण में जहरीली मदिरा की आपूर्ति का स्रोत क्या है व इसकी आपूर्ति के लिए कौन उत्तरदायी है? साथ ही, आबकारी विभाग, पुलिस विभाग व जिला प्रशासन की भूमिका की जांच करते हुए समिति यह तय करेगी कि प्रकरण में कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी संलिप्त हैं? समिति यह भी ज्ञात करेगी कि पूर्व में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए जारी दिशा-निर्देश के किन बिन्दुओं के अनुपालन में शिथिलता बरती गयी है और इसके लिए कौन उत्तरदायी है? घटना के पीछे यदि किसी षडयंत्र की आशंका हो तो उस बिन्दु पर भी समिति जांच कर अपनी आख्या प्रस्तुत करेगी। भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए समिति द्वारा सुझाव प्रस्तुत किए जाएंगे।

 

 

 

 

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