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कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने पर ईयू के प्रतिनिधियों ने कहा- हम भारत के साथ

पिछले पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद पहला विदेशी प्रतिनिधिमंडल राज्य...
कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने पर ईयू के प्रतिनिधियों ने कहा- हम भारत के साथ

पिछले पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद पहला विदेशी प्रतिनिधिमंडल राज्य के दौरे पर गया है। यूरोपियन यूनियन (ईयू) के सांसदों का निजी स्तर पर यह दौरा कश्मीर की स्थिति पर यूरोपियन संसद का सत्र आयोजित होने के कुछ हफ्तों बाद ही हो रहा है।

ईयू के 27 सांसद आज जम्मू कश्मीर के दौरे पर गया है। सरकार ने कहा है कि इस दौरे से प्रतिनिधिमंडल को भारत की िवकास और शासन की प्राथमिकताओं का स्पष्ट रुख दिखाई देगा। हालांकि ईयू के सांसद कश्मीर का दौरा व्यक्तिगत रूप से कर रहे हैं। इस प्रतिनिधिमंडल में इटली के फुलवियो मार्टुसिलो, ब्रिटेन के डेविड रिचर्ज बुल, इटली के गियाना गैंसिया, फ्रांस की जूली लेचंट्यूक्स, चेक रिपब्लिक के थॉमस डेचोव्स्की, स्लोवाकिया के पीटर पोलाक और जर्मनी के नोकिलस फेस्ट शामिल हैं।   

डेचोव्स्की ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाना भारत का आंतरिक मसला है क्योंकि कश्मीर उसका हिस्सा है। आंतरिक फैसले करना भारत सरकार का अधिकार है। हम इस मुद्दे पर भारत के साथ हैं।

यूरोपियन संसद की मासिक पत्रिका में पिछले महीने एक लेख में डेचोव्स्की ने कहा था कि अनुच्छेद 370 हटाने से कश्मीर में सक्रिय अनेक आतंकी संगठनों को समाप्त करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस लेख के बाद उन्हें पाकिस्तान से कई घृणास्पद ईमेल मिले।

सांसदों ने की मोदी से मुलाकात

दो दिन की गैर अधिकारिक कश्मीर दौरे से पहले यूरोपियन संसद के सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। मोदी ने उन्हें बताया कि आतंकवाद को समर्थन और बढ़ावा देने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करना आवश्यक हो गया था। सरकारी बयान के अनुसार मोदी ने कहा कि इस दौरे से उन्हें जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के क्षेत्रों की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि उन्हें इस क्षेत्र में विकास और शासन संबंधी प्राथमिकताओं के बारे में स्पष्ट रुख दिखाई देगा।

विपक्ष ने की आलोचना

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी नौ यूरोपियन देशों के सांसदों को पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद, अनुच्छेद 370 हटाने के लिए किए गए संवैधानिक बदलाव और घाटी स्थिति के बारे में जानकारी दी। हालांकि कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सरकार यूरोपियन सांसदों को तो कश्मीर दौरे की अनुमति दी है लेकिन भारतीय नेताओं को दौरा करने से रोक रही है।

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