दोनों देशों के बीच हर साल होने वाली द्विपक्षीय यात्रा के लिए इस बार रुस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भारत आ रहे हैं। रुस के राष्ट्रपति की इस यात्रा में भारत और रुस के बीच एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर समझौता होनी की उम्मीद है। 5 अरब डॉलर के इस समझौते पर अमेरिका अपनी निगाह बनाए हुए है। हालांकि वह अन्य देशों से कह चुका है कि रूस के साथ जो देश समझौता करेंगे, अमेरिका उन देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा सकता है। लेकिन इसके बाद भारत को लेकर अमेरिका के रुख में नरमी आई है और लग रहा है कि अमेरिका भारत को इसकी छूट दे देगा।
लेकिन आखिर क्या है यह सुरक्षा प्रणाली जिस पर दुनिया की प्रमुख शक्तियां चर्चा कर रही हैं और भारत के लिए क्यों यह इतनी खास है?
क्या है एस-400 वायु सुरक्षा प्रणाली?
एस-400 एक ऐसा सर्फेस टू एयर डिफेंस सिस्टम यानी जमीन से हवा में सुरक्षा करने वाला है जो मिसाइल हमलों को हवा में ही रोकने के लिए बना है। इसे दुनिया का सबसे बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है। अमेरिका भारत पर इसे ना खरीदने का दबाव बना रहा है लेकिन भारत ने इसे खरीदने का फैसला कर लिया है और उम्मीद है कि गुरवार से शुरु हो रही रूसी राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा के समय ही इस समझौते को अंतिम सहमति दे दी जाएगी। रूस की समाचार एजेंसी की मानी जाए तो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सुरक्षा से संबंधित कैबिनेट कमेटी ने रूस से 5 अरब डॉलर से ज्यादा के पांच एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की ख़रीद को मंजूरी दे दी है।
क्या है विशेषताएं?
यह एक मोबाइल सिस्टम है जिसे महज 5 मिनट में तैयार किया जा सकता है। यह एक साथ तीन स्तरीय सुरक्षा छतरी का निर्माण करता है। यह सिस्टम 400 किमी दूर से ही लक्ष्य को पहचान लेने की क्षमता रखता है और जमीन से 30 किमी ऊपर ही उसे नष्ट कर देता है। यह सिस्टम एक बार में 100 आक्रमणों को पकड़ सकता है और एक समय, एक साथ 6 पर हमला करके नष्ट कर सकता है। अमेरिका और नाटो की नजरों में यह सुरक्षा तंत्र दुनिया का सबसे आधुनिकतम और सबसे खतरनाक तंत्र है जो स्वयं उसकी सुरक्षा प्रणाली Terminal High Altitude Area Defence से कहीं बेहतर है।
भारत के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत दो ओर से ऐसे देशों घिरा है, जिनसे ना सिर्फ इतिहास में युद्ध हो चुके हैं बल्कि इस देशों से रिश्ते सामान्य नहीं रहते हैं और समय-समय पर युद्ध का खतरा मंडराता रहता है। रिश्ते सामान्य ना रहने के कारण पाकिस्तान की ओर से समय-समय परमाणु हमले की धमकी दी जाती रहती है। इतना ही नहीं दुनिया की प्रमुख शक्तियां जिस तरह एशिया में अपने हित देख रही हैं उस माहौल में भी भारत की सुरक्षा जरूरी हो जाती है।
चीन के पास यही सुरक्षा प्रणाली जनवरी 2018 से मौजूद है जिसका सौदा उसने साल 2015 में किया था। लेकिन भारत के पास ऐसी कोई सुरक्षा तंत्र नहीं है।
अमेरिका का इस समझौते पर रुख?
साल 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने यहां सीएएटीएसए कानून को मंजूरी दी। इस कानून का उद्देश्य रुस, ईरान और उत्तरकोरिया को दुनिया के अन्य देशों से दूर रखना है। इस कानून की एक धारा के तहत रुस के साथ रक्षा समझौता करने वाले देश पर अमेरिका प्रतिबंध लगा सकता है। ऐसे में अमेरिका और भारत के संबंध नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकते थे।
लेकिन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत के सहयोग को देखते हुए अमेरिका ने भारत के प्रति अपनी नरमी दिखाई है। यह नरमी पिछले दिनों हुई टू-प्लस-टू वार्ता में भी देखने को मिली।