पंसारे महाराष्ट्र में चुंगी कर विरोधी आंदोलन के नेता रहे हैं। उनका नाता कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया से रहा है। 82 साल के पंसारे और उनकी 72 साल की पत्नी उमा पंसारे पर सोमवार सुबह मॉर्निंग वॉक से लौटते वक़्त हमला किया गया था। दोनों अस्पताल में भर्ती हैं जहां उमा की हालत में कुछ सुधार हो रहा है जबकि गोविंद पंसारे की हालत गंभीर बनी हुई है।
डेढ़ साल पहले इसी तरह पुणे में अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता नरेन्द्र दाभोलकर की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दालोभलकर के बेटे डॉक्टर हामिल दाभोलकर दोनों हमलों में समानता देखते हैं। दाभोलकर के हमलावरों को भी अब तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी है।
हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फणनवीस ने पंसारे पर गोली चलाने की आलोचना की है लेकिन अब तक इस भी पुलिस इस मामले में कोई सुराग नहीं लगा पायी है।
महाराष्ट्र में वैज्ञानिक चेतना का प्रसार करने वाले और लोकप्रिय राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर हमले की घटना बढ़ती जा रह़ी हैं। इतना तो तय है कि गोली चलाने वाले वही हो सकते हैं जिनकी पंसारे के विचारों से घनघोर नफ़रत हो। क्योंकि यह साफ़ है कि इस हमले की वजह कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। दाभोलकर को भी किसी व्यक्तिगत दुश्मनी की वजह से नहीं मारा गया था।
सरकार और पुलिस चाहे तो इस मामले में दोषियों को पकड़ने के अभियान में तेज़ी ला सकती है। लेकिन दाभोलकर की हत्या के 18 महीने बाद भी दोषियों के न पकड़े जाने पर सरकार की नीयत पर भी सवाल उठते हैं। तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार आऩे के बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।